Monday, December 23, 2024
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महंगाई का जोर का झटका, खाने-पीने के सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.21% पर पहुंची, EMI नहीं घटेगी!

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Nov 12, 2024 16:43 IST, Updated : Nov 13, 2024 17:33 IST
Inflation
Photo:FILE महंगाई

आम आदमी को महंगाई से राहत मिलती नहीं दिख रही है। एक बार फिर महंगाई ने 14 महीने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आपको बता दें कि खाने-पीने के सामान महंगा होने से अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.21% पर पहुंच गई। इससे पिछले महीने यानी सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ऐसा मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण हुआ है। इस तरह खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के ऊपर निकल गई है। पिछले साल इसी महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत थी। 

खाद्य वस्तुओं में महंगाई बढ़कर 10.87% हो गई

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी। आरबीआई ने पिछले महीने नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा था। सरकार ने केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़) पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। 

ईएमआई घटने की उम्मीद नहीं 

खुदरा महंगाई में रिकॉर्ड उछाल के बाद होम, कार लोन समेत तमाम लोन की ईएमआई घटने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए बुरी खबर है। दिसंबर में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी में रेपो रेट में कटौती की अब उम्मीद नहीं है। यानी महंगे लोन से अभी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। गौरतबल है कि आरबीआई को खुदरा महंगाई  चार प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़) पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। यह उससे काफी अधिक है। इसके बाद रेपो रेट में कटौती संभव नहीं है। 

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