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F&O ट्रेडिंग में छोटे निवेशकों को हतोत्साहित करने से बैंकों को होगा ये फायदा, SBI चेयरमैन ने दी जानकारी

डेरिवेटिव कारोबार में 90 प्रतिशत निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में यह आशंका पैदा हो रही है कि परिवारों की बचत उत्पादक उद्देश्यों में लगने के बजाय ‘सट्टेबाजी’ में उड़ रही है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 04, 2024 14:22 IST
SBI Chairman Dinesh Kumar Khara- India TV Paisa
Photo:PTI SBI चेयरमैन दिनेश कुमार खारा

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा है कि खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव बाजार (F&O) में दांव से हतोत्साहित करने वाले नियामकीय कदमों से बैंकिंग प्रणाली को बेहद जरूरी जमा जुटाने में मदद मिल सकती है। खारा ने कहा कि अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर बदलाव जैसी बजट घोषणाओं से जमा वृद्धि के नजरिये से ज्यादा फायदा नहीं होगा। खारा ने कहा, नियामक द्वारा खुदरा निवेशकों के लिए एफएंडओ (वायदा और विकल्प) जैसी चीजों को हतोत्साहित किया जा रहा है। जो लोग इस तरह के साधन का सहारा ले रहे हैं, वे बैंकिंग प्रणाली में वापस आ सकते हैं।

90 प्रतिशत निवेशकों को हो रहा नुकसान 

यह ध्यान देने योग्य है कि कि डेरिवेटिव कारोबार में 90 प्रतिशत निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में यह आशंका पैदा हो रही है कि परिवारों की बचत उत्पादक उद्देश्यों में लगने के बजाय ‘सट्टेबाजी’ में उड़ रही है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार, अकेले वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा निवेशकों को ऐसी गतिविधियों में 52,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसपर अंकुश लगाने की जरूरत है। सेबी ऐसे दांव पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सात सूत्रीय योजना लेकर आया है, जबकि आम बजट में भी इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं। पिछले तीन वर्षों से जमा वृद्धि ऋण में बढ़ोतरी से साथ तालमेल बैठाने में असमर्थ है। खारा ने कहा कि यह पैसा वैकल्पिक साधनों मसलन पूंजी बाजार में जा रहा है। 

बैंक खाता बचत जमा करने का प्रमुख साधन

हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंक खाता परिवारों की बचत को जमा करने का प्रमुख साधन है और इसपर ब्याज मिलता है। उन्होंने याद दिलाया कि 2011 में भी ऋण वृद्धि जमा वृद्धि से अधिक थी। वर्तमान में, जमा और ऋण वृद्धि के बीच के अंतर के बारे में चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं, जिसके कारण बैंक कर्ज देने में धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं, जो समग्र आर्थिक वृद्धि के लिए नुकसानदायक हो सकता है। एसबीआई के पास कुल 20 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी है। खारा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में एसबीआई ऋण में 15 प्रतिशत और जमा में आठ प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य लेकर चल रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि बैंक का प्रयास जमा वृद्धि को 10 प्रतिशत पर पहुंचाने का होगा। 

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