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बैंक अकाउंट में जोड़ सकेंगे 4 नॉमिनी, लोकसभा में पेश हुआ Banking Laws Bill, जानिए क्या है खास

Banking Laws Bill : इस बिल का लोकसभा में विपक्ष के कुछ सदस्यों ने विरोध भी किया है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों से जुड़े कानूनों में संशोधन का अधिकार राज्यों को है।

Written By: Pawan Jayaswal
Updated on: August 09, 2024 18:38 IST
बैंकिंग लॉ बिल- India TV Paisa
Photo:REUTERS बैंकिंग लॉ बिल

लोकसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन), 2024 पेश कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यह बिल लोकसभा में पेश किया। यह बिल पास होता है, तो बैंक खाताधारक अपने अकाउंड में 4 नॉमिनीज के नाम दर्ज करा सकेंगे। अभी सिर्फ एक खाते में एक ही नॉमिनी का प्रावधान है। इस प्रस्तावित विधेयक में कई बदलावों की बात कही गई है। जैसे कंपनी के डायरेक्टर्स के सबस्टेंशियल इंटरेस्ट को फिर से परिभाषित किया गया है। इसमें 5 लाख रुपये की मौजूदा लिमिट को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये तक किया जा सकता है।

4 नॉमिनीज दर्ज करा सकेंगे

इस प्रस्तावित बिल से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक्ट सहित कई दूसरे एक्ट प्रभावित होंगे। बिल में प्रमुख प्रपोजल बैंक अकाउंट में नॉमिनीज की संख्या को बढ़ाने का है। इसे मौजूदा के 1 से बढ़ाकर 4 करने का प्रस्ताव है। इससे खाताधारकों को काफी फ्लेक्सिबिलिटी और चॉइस मिलेगी।

निवेशकों के हितों की रक्षा

बिल का उद्देश्य अनक्लेम्ड डिविडेंड, शेयरों और बांड पेमेंट को निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष (IEPF) में स्थानांतरित करना भी है। यह बदलाव लोगों को इन फंड्स पर क्लेम करने या रिफंड प्राप्त करने की अनुमति देगा, जिससे निवेशकों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।

सहकारी बैंकों में निदेशकों का कार्यकाल बढ़ेगा

प्रस्तावित बिल का उद्देश्य गवर्नमेंट स्टैंडर्ड्स को बढ़ाना, भारतीय रिजर्व बैंक को बैंकों द्वारा एक समान रिपोर्टिंग सुनिश्चित करना, जमाकर्ताओं और निवेशकों के लिए सुरक्षा बढ़ाना, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ऑडिट गुणवत्ता में सुधार करना, नामांकन के संबंध में ग्राहक सुविधा को सुव्यवस्थित करना और सहकारी बैंकों में निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाना है।

विपक्ष का विरोध

इस बिल का लोकसभा में विपक्ष के कुछ सदस्यों ने विरोध भी किया है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों से जुड़े कानूनों में संशोधन का अधिकार राज्यों को है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों पर केंद्र कंट्रोल कर सकता है या नहीं, इस पर विरोधाभास है।

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