डिजिटल बैंकिंग या ऑनलाइन बैंकिंग जितनी सुविधाजनक है, उतनी ही वह मुसीबत की वजह भी साबित हो रहा है। बैंकिंग से जुड़े फ्रॉड या धोखाधड़ी के मामले इस कदर बढ़े हैं कि लोगों को हमेशा यह चिंता सता रही होती है कि कहीं अगली बार उनके साथ कोई बैंकिंग फ्रॉड न हो जाए। भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़े चौंकाने वाले हैं। पीटीआई की खबर के मुताबिक, इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंक धोखाधड़ी के मामलों में जोरदार ग्रोथ देखी गई, जो 18,461 मामलों तक पहुंच गई और इसमें शामिल राशि आठ गुना से अधिक बढ़कर 21,367 करोड़ रुपये हो गई।
इंटरनेट और कार्ड धोखाधड़ी की हिस्सेदारी 44. 7 प्रतिशत
खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल-सितंबर के दौरान धोखाधड़ी की संख्या 18,461 थी, जिसमें 21,367 करोड़ रुपये शामिल थे, जबकि धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग की तारीख के आधार पर पिछले वित्तीय वर्ष की तुलनात्मक अवधि में 2,623 करोड़ रुपये से जुड़े 14,480 मामले थे। पूरे वित्तीय वर्ष 2023-24 को लेकर केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंकों द्वारा रिपोर्टिंग की तारीख के आधार पर, धोखाधड़ी में शामिल राशि एक दशक में सबसे कम थी, जबकि औसत मूल्य 16 सालों में सबसे कम था। धोखाधड़ी की घटना की तारीख के आधार पर, 2023-24 में कुल में इंटरनेट और कार्ड धोखाधड़ी की हिस्सेदारी राशि के मामले में 44. 7 प्रतिशत और मामलों की संख्या के मामले में 85. 3 प्रतिशत थी।
धोखाधड़ी कई चुनौतियां पेश करती हैं
भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट 2023-24 जारी की है, जो 2023-24 और 2024-25 के दौरान वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों सहित बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन को प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि धोखाधड़ी फाइनेंशियल सिस्टम के लिए प्रतिष्ठा जोखिम, परिचालन जोखिम, व्यावसायिक जोखिम और वित्तीय स्थिरता निहितार्थों के साथ ग्राहक विश्वास में गिरावट के रूप में कई चुनौतियां पेश करती है।
निजी क्षेत्र के बैंकों से जुड़े मामले 67. 1 प्रतिशत रहे
वित्त वर्ष 2023-24 में, निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ी के मामलों की संख्या कुल का 67. 1 प्रतिशत थी। हालांकि, शामिल राशि के मामले में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) में 2023-24 में सभी बैंक समूहों के लिए कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी का हिस्सा सबसे अधिक था। 2023-24 के दौरान विदेशी बैंकों और लघु वित्त बैंकों को छोड़कर सभी बैंक समूहों में विनियमित संस्थाओं (आरई) पर लगाए गए जुर्माने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। 2023-24 में कुल जुर्माना राशि दोगुनी से अधिक होकर 86.1 करोड़ रुपये हो गई, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक सबसे आगे रहे।