सरकारी बैंकों के स्टॉक्स में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। दरअसल, सभी सरकारी बैंकों (पीएसबी) की गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) में पिछले छह माह में कमी आई है। फिक्की-आईबीए बैंकर के रिपोर्ट में ये बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में प्राइवेट सेक्टर के बैंकों पर भी NPA का बोझ कम हुआ है। प्राइवेट सेक्टर के 67 प्रतिशत बैंकों का एनपीए कम हुआ है। सर्वेक्षण में शामिल 77 प्रतिशत बैंकों के एनपीए में पिछले छह माह में गिरावट आई है। हालांकि, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता में अधिक सुधार हुआ है।
23 बैंकों पर किया गया सर्वे
सर्वे में सरकारी, प्राइवेट सेक्टर और विदेशी बैंकों सहित कुल 23 बैंकों ने भाग लिया। संपत्ति के आकार के आधार पर वर्गीकृत ये बैंक कुल मिलाकर लगभग 77 प्रतिशत बैंकिंग उद्योग का प्रतिनिधित्व करते हैं। रिपोर्ट में शामिल आधे से अधिक बैंकों का मानना है कि अगले छह महीनों में सकल एनपीए 3-3.5 प्रतिशत के दायरे में रहेगा। सर्वेक्षण में कहा गया, “प्रतिक्रिया देने वाले सभी सरकारी बैंकों ने एनपीए के स्तर में कमी स्वीकार की है, जबकि भाग लेने वाले निजी क्षेत्र के बैंकों में से 67 प्रतिशत बैंकों ने एनपीए में कमी देखी है। किसी भी पीएसबी और विदेशी बैंक ने पिछले छह माह में एनपीए स्तर में वृद्धि नहीं देखी है, जबकि 22 प्रतिशत निजी बैंकों का एनपीए बढ़ा है।’’
इन सेक्टर में एनपीए की हिस्सेदारी अधिक
जिन क्षेत्रों में एनपीए का उच्चस्तर जारी है, उनमें से अधिकांश बैंकों ने खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों को चिह्नित किया है। सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि अगले छह महीनों में गैर-खाद्य उद्योग ऋण के लिए दृष्टिकोण आशावादी है, 41 प्रतिशत बैंकों को गैर-खाद्य उद्योग ऋण वृद्धि 12 प्रतिशत से ऊपर रहने की उम्मीद है, जबकि 18 प्रतिशत को लगता है कि गैर-खाद्य उद्योग ऋण वृद्धि 12 प्रतिशत से अधिक होगी। उद्योगों को कर्ज वृद्धि वृद्धि 10-12 प्रतिशत की सीमा में होगी। इसके अलावा, 36 प्रतिशत बैंकों का मानना है कि गैर-खाद्य उद्योग ऋण वृद्धि 8-10 प्रतिशत की सीमा में होगी।