नयी दिल्ली। भारतपे के पूर्व सह-संस्थापक अश्नीर ग्रोवर ने कंपनी के निदेशक मंडल को एक पत्र लिखकर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुहैल समीर के खिलाफ कार्रवाई करने और चेयरमैन रजनीश कुमार के इस्तीफे की मांग की है। ग्रोवर ने अपने खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर निदेशक मंडल से समीर पर कार्रवाई करने के लिए कहा है।
भारतपे के पूर्व कर्मचारी करण सरकी ने पुराने कर्मचारियों की बर्खास्तगी और वेतन न मिलने के मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी। इस पोस्ट पर अश्नीर की बहन आशिमा की तरफ से की गई एक टिप्पणी के जवाब में समीर ने कहा, ‘‘बहन, तेरे भाई ने सारा पैसा चुरा लिया। वेतन देने के लिए बहुत कम पैसा बचा है।’’ इस पर ग्रोवर ने आठ अप्रैल को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में समीर की भाषा न केवल अपमानजनक है बल्कि 'सार्वजनिक रूप से झूठ भी है।’’
पीटीआई-भाषा के पास भी इस पत्र की एक प्रति उपलब्ध है। भारतपे ने मार्च, 2022 में ग्रोवर को कंपनी में सभी पदों से हटा दिया था। कंपनी ने कथित तौर पर वित्त में बड़े पैमाने पर अनियमितता में ग्रोवर के परिवार और संबंधियों की संलिप्तता भी पाई थी। ग्रोवर ने कहा कि कंपनी के दिवालिया होने की पुष्टि किसी अन्य ने नहीं बल्कि खुद सीईओ और बोर्ड के सदस्य ने की है।
उन्होंने कहा, ‘‘निदेशक मंडल के उदाहरणों और उनकी तरफ से घोषित बड़े-बड़े मानकों के हिसाब से सीईओ को इस सार्वजनिक व्यवहार के लिए तुरंत कारण बताओ नोटिस दिया जाना चाहिए और कंपनी के ब्रांड को नुकसान के लिए उन्हें तुरंत छुट्टी पर भेज देना चाहिए।’’ ग्रोवर ने कहा, ‘‘सुहैल को बोर्ड के सामने यह साबित करना होगा कि लिंक्डइन पर इस तरह की टिपण्णी करते वक्त वह शराब या मादक पदार्थ के असर में नहीं थे।’’
इससे पहले बृहस्पतिवार को ग्रोवर ने ट्वीट किया था कि रजनीश कुमार और सुहैल समीर के नेतृत्व में कंपनी की वृद्धि को पहली तिमाही में गिरावट का सामना करना पड़ा है। हालांकि भारतवे के एक प्रवक्ता ने कहा कि जनवरी-मार्च तिमाही कंपनी के लिए अब तक की सबसे अच्छी तिमाही साबित हुई है।
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमने पिछले साल की जनवरी-मार्च तिमाही की तुलना में इस साल इसी अवधि में चार गुना राजस्व हासिल किया है। कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर के बावजूद इससे पिछली तिमाही की तुलना में कंपनी की वृद्धि 30 प्रतिशत बढ़ी है।’’
ग्रोवर ने पत्र में कहा है कि समीर के सभी लेन-देन का ऑडिट एक स्वतंत्र ऑडिटर की तरफ से किया जाना चाहिए। ऑडिट रिपोर्ट बोर्ड के सामने आने के बाद ही उन्हें सीईओ के रूप में बहाल किया जाना चाहिए।