भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में आज मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास का आखिरी दिन है। कल से नए गवर्नर संजय मल्होत्रा उनकी जगह लेंगे। इस बीच नए गवर्नर संजय मल्होत्रा और मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की प्रतिक्रिया आई है। संजय मल्होत्रा ने कहा है कि वह 11 दिसंबर को पदभार संभालने के बाद अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने के लिए वो हर संभव कदम उठाएंगे। उनकी प्राथमिकता में GDP की रफ्तार तेज करना होगा। उन्होंने कहा कि वे आरबीआई के कामकाज को झमझेंगे और फिर फैसले लेंगे। उन्होंने कहा कि किसी को भी (इस पद पर काबिज) क्षेत्र, सभी दृष्टिकोणों को समझना होगा और अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम करना होगा।
महंगाई काबू करना सबसे बड़ा काम: दास
RBI के मौजूदा गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मंगलवार को कहा कि महंगाई को काबू करना केंद्रीय बैंक के समक्ष सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। केंद्रीय बैंक प्रमुख के रूप में अपने छह साल के कार्यकाल के अंतिम दिन संवाददाता सम्मेलन में दास ने कहा कि उनके उत्तराधिकारी को बदलती विश्व व्यवस्था को समझना होगा, साइबर खतरों से प्रभावी ढंग से निपटना होगा और नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि नए गवर्नर संजय मल्होत्रा वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के अलावा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) और यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) जैसी आरबीआई की पहलों को आगे बढ़ाएंगे।
GDP की रफ्तार सिर्फ रेपो रेट से सुस्त नहीं हुई
एक प्रश्न के उत्तर में दास ने कहा कि हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है, लेकिन जैसा कि वे देखते हैं वृद्धि केवल रेपो दर से नहीं, बल्कि कई कारकों से प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि आरबीआई का प्रयास मौजूदा आर्थिक स्थितियों और संभावनाओं को देखते हुए मौद्रिक नीति को यथासंभव उपयुक्त बनाने का रहा है।
इन चुनौतियों से निपटना होगा
केंद्रीय बैंक के समक्ष चुनौतियों के बारे में बताते हुए कहा कि नए गवर्नर को महंगाई और वृद्धि के बीच संतुलन बहाल करना होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली व मजबूत बनी है और इसमें वैश्विक प्रभावों से उचित तरीके से निपटने की क्षमता है। छह साल बाद सेवानिवृत्त हो रहे दास ने कहा कि वित्त मंत्रालय तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बीच समन्वय पिछले छह वर्षों में सबसे बेहतर रहा है। उन्होंने साथ ही कहा कि वित्त मंत्रालय तथा आरबीआई का नजरिया कभी-कभी अलग-अलग हो सकता है, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान ऐसे सभी मुद्दों को आंतरिक चर्चा के जरिये सुलझा लिया गया। सवालों का जवाब देते हुए दास ने कहा कि आरबीआई गवर्नर व्यापक अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हैं और अंततः प्रत्येक गवर्नर यह निर्णय लेता है।
सभी के साथ मिलकर काम करने की छवि
मल्होत्रा की छवि सभी के साथ मिलकर काम करने वाली है। वह मानते हैं कि कीमतों को अकेले केंद्रीय बैंक प्रबंधित नहीं कर सकता है और इसके लिए सरकारी मदद की भी जरूरत है। वह ऐसे समय केंद्रीय बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं जब आरबीआई पर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती का दबाव है।