देश का आम आदमी साबुन, तेल, मंजन से लेकर अपनी इनकम पर जो टैक्स देता है, सरकारें उस पैसे से देश का विकास करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (Infra Project) चलाती हैं। लेकिन इन प्रोजेक्ट की देरी से आम लोगों की यही कमाई धूल में मिलती दिखाई दे रही है। भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की देरी अब ला इलाज बीमारी सी होती दिख रही है। देश में इस समय 1,643 प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिसमें से आधे यानि 815 प्रोजेक्ट अपने समय से देरी से चल रहे हैं। इनमें से भी 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 393 परियोजनाओं की लागत तय अनुमान से 4.64 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है।
सरकार की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय की जून, 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,643 परियोजनाओं में से 393 की लागत बढ़ गई है, जबकि 815 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,643 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 23,86,687.07 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 28,51,556.84 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.48 प्रतिशत यानी 4,64,869.77 करोड़ रुपये बढ़ गई है।’’
स्थिति हो सकती है और भी पेचीदा
रिपोर्ट के अनुसार, जून, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 14,99,771.71 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 52.59 प्रतिशत है। हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 594 पर आ जाएगी। वैसे इस रिपोर्ट में 336 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
5 साल से भी ज्यादा देरी से चल रहे हैं प्रोजेक्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 815 परियोजनाओं में से 193 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 192 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 293 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 137 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं। इन 815 परियोजनाओं में विलंब का औसत 37.49 महीने है। इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है। इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है।