भारत में सोने के कारोबार में धोखाधड़ी की संभावना अब बहुत हद तक खत्म हो रही है। इसका कारण है देश में हॉलमार्किंग का बढ़ता दायरा। सरकार ने बुधवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि के दौरान 3.7 करोड़ आभूषणों की हॉलमार्किंग की गई। सोने के गहनों की अनिवार्य हॉलमार्किंग करने का कानून पिछले साल 16 जून से लागू हुआ था।
एक साल में 8 करोड़ गहनों की हॉलमार्किंग
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने एक बयान में कहा, ‘‘वर्ष 2021-2022 में 8.68 करोड़ आभूषणों की हॉलमार्किंग की गई, जबकि एक अप्रैल, 2022 से 31 जुलाई 2022 तक 3.7 करोड़ गहनों की हॉलमार्किंग की गई।’’ ब्यूरो ने 16 जून, 2021 को अनिवार्य हॉलमार्किंग जारी होने के बाद से कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया है। जौहरियों का पंजीकरण निःशुल्क और आजीवन वैध बना दिया गया।
जुर्ला 2021 से अनिवार्य हुई हॉलमार्किंग
हॉलमार्क विशिष्ट पहचान (एचयूआईडी) आधारित हॉलमार्किंग पोर्टल एक जुलाई 2021 को शुरु किया गया था। परख एवं हॉलमार्किंग केंद्र में संपूर्ण कामकाज को स्वचालित और ऑनलाइन किया गया है। ब्यूरो ने कहा, ‘‘बीआईएस पंजीकृत जौहरियों की संख्या एक जुलाई 2021 को 43,153 से बढ़कर एक अगस्त 2022 को 1,43,497 हो गई है। मान्यता प्राप्त परख एवं हॉलमार्किंग केंद्रों की संख्या भी एक जुलाई 2021 को 948 से बढ़कर 31 जुलाई 2022 को 1,220 हो गई है।’’
जून 2022 से लागू हुआ दूसरा चरण
अनिवार्य हॉलमार्किंग का कार्यान्वयन दो चरणों में किया गया था। पहले चरण में, अनिवार्य हॉलमार्किंग आदेश के तहत सोने की तीन श्रेणियों की वस्तुओं अर्थात 14 कैरेट (585 विशुद्धता), 18 कैरेट (750 विशुद्धता) और 22 कैरेट (916 विशुद्धता) को दायरे में लिया गया था। इस चरण में कम से कम एक परख और हॉलमार्किंग केंद्र वाले 256 जिलों में इस आदेश लागू किया गया था। बीआईएस ने कहा कि अनिवार्य हॉलमार्किंग का दूसरा चरण एक जून 2022 से लागू किया गया था। अनिवार्य हॉलमार्किंग के दूसरे चरण में सोने के आभूषणों/ कलाकृतियों के तीन अतिरिक्त कैरेट- 20 कैरेट (833 विशुद्धता), 23 कैरेट (958 विशुद्धता) और 24 कैरेट (995 विशुद्धता) शामिल हैं।