होली के पहले ही सरकार ने करोड़ों गृहणियों को बड़ा तोहफा दे दिया है। दरअसल, सरकार ने अरहर दाल की बढ़ती कीमत को घटाने के लिए तुअर के आयात पर लगने वाला 10 प्रतिशत का सीमा शुल्क खत्म कर दिया है। सरकार ने यह कदम अरहर दाल की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए उठाया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने तीन मार्च की एक अधिसूचना में कहा है कि तुअर (साबुत) दाल पर अब कोई सीमा शुल्क नहीं लगेगा। यह आदेश चार मार्च से प्रभावी हो गया है।
अन्य तुअर उत्पादों पर राहत नहीं
हालांकि साबुत तुअर दाल से इतर अन्य तुअर उत्पादों के आयात पर 10 प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क लगता रहेगा। देशभर में तुअर दाल के कम उत्पादन की आशंका के बीच साबुत तुअर दाल पर से सीमा शुल्क हटाने का फैसला किया गया है। तुअर की दाल खरीफ की फसल है। कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, तुअर दाल का उत्पादन जुलाई 2022-जून 2023 सत्र में गिरकर 38.9 लाख टन रह सकता है जबकि पिछले सत्र में यह 43.4 लाख टन रहा था।
मोटे अनाजों के प्रोत्साहन के लिए अभियान शुरू
सरकार-समर्थित 'लघु कृषक कृषि व्यवसाय गठजोड़' (एसएफएसी) ने मोटे अनाजों की सीधे कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से खरीद को बढ़ावा देने के लिए रविवार को एक विशेष अभियान शुरू किया। एसएफएसी की प्रबंध निदेशक मनिंदर कौर द्विवेदी ने कहा कि ओपन मार्केट डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के माई स्टोर के जरिये मोटे अनाजों की बिक्री करने वाले एफपीओ से सीधे खरीदारी करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मकसद आम लोगों को मोटा अनाज सीधे एफपीओ से खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस तरह खरीदारों को शुद्ध एवं असली अनाज मिलता है जबकि छोटे एवं सीमांत किसानों की आजीविका में मदद मिलती है।