Airline Company of India: गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना ने बताया है कि गो फर्स्ट को पीएंडडब्ल्यू द्वारा इंजनों की आपूर्ति नहीं करने के कारण वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण 28 विमानों को खड़ा करना पड़ा है। गो फर्स्ट ने एनसीएलटी के समक्ष स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए एक आवेदन दायर किया है। एयरलाइंस की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक अभी गो फर्स्ट के बेड़े में कुल 61 विमान हैं, जिनमें से 56ए 320 हैं और और 5 ए320 सीईओ हैं। यात्रियों की संख्या में आई गिरावट के कारण एयरलाइंस घाटे में जा रही थी। बता दें कि Go First Airlines 3 और 4 मई की उड़ाने रद्द कर दी हैं। यह जानकारी डीजीसीए को दी गई है। एयरलाइंस का कहना है कि तेल कंपनियों के बकाये का भुगतान नहीं कर पाने के कारण यह फैसला लिया गया है।
किंगफिशर की राह पर चल रही गो फर्स्ट
इकोनॉमिक टाईम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, एक ऑयल मार्केटिंग कंपनी के अधिकारी ने बताया कि गो फर्स्ट कैश एंड कैरी मोड पर ऑपरेट कर रहा है। यानि एयरलाइंस को हर दिन के हिसाब से जितनी उड़ान भरनी है, उसके मुताबिक हवाई ईंधन के लिए भुगतान करना पड़ता है। इस वजह से एयरलाइंस इस बात पर सहमत है कि भुगतान नहीं किए जाने पर वेंडर बिजनेस को बंद कर सकता है। ऐसा लगता है कि गो फर्स्ट भी उसी राह पर जा रही है जिस राह पर कभी किंगफिशर गई थी। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या गो एयर भी किंगफिशर के रास्ते पर चलते हुए बिजनेस बंद करेगी?
घाटे में कंपनी
गो फर्स्ट ने हाल ही में वित्त वर्ष 2022 में अपना सबसे बड़ा वार्षिक घाटा दर्ज किया है और पिछले कुछ महीनों में परिचालन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहा है, क्योंकि इसके आधे विमान प्रैट एंड व्हिटनी (पी एंड डब्ल्यू) जेट इंजनों से संबंधित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के कारण ग्राउंडेड थे। Go First एयरलाइन के 57 के बेड़े में से 28 विमानों के साथ दैनिक संचालन कर रहा है, शेष विमान अमेरिकी निर्माता प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा आपूर्ति किए गए इंजनों में परेशानी के कारण ग्राउंडेड हैं। गो फर्स्ट, जिसे पहले गो एयर के नाम से जाना जाता था, भारतीय घरेलू हवाई क्षेत्र में 9% बाजार हिस्सेदारी रखता है। अप्रैल 2023 के लिए इसमें औसतन 94.5% यात्री भार कारक था।