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चावल के दाने के लिए तरस रहा अमेरिका, भारत सरकार के इस कदम से आई ये नौबत

India Ban Export: भारत ने पिछले साल 10.3 मिलियन टन गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात किया और वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं के पास इस अंतर को भरने की अतिरिक्त क्षमता नहीं थी।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: July 25, 2023 14:44 IST
Basmati Rice America- India TV Paisa
Photo:FILE Basmati Rice America

Basmati Rice America: भारत सरकार ने हाल ही में देश में अस्थिर खुदरा कीमतों को स्थिर करने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इस कदम ने अफ्रीका, एशिया और यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका के देशों में चिंताएं बढ़ा दी हैं और वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतों में वृद्धि देखी जानी शुरू हो गई है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 20 जुलाई को एक बयान में कहा कि भारतीय बाजार में गैर बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि को कम करने के लिए भारत सरकार ने उपरोक्त किस्म की निर्यात नीति में तत्काल प्रभाव से '20% के निर्यात शुल्क के साथ मुक्त' से 'निषिद्ध(Prohibited)' में संशोधन किया है। इस प्रतिबंध से न केवल वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतें बढ़ी है बल्कि अमेरिका से ऐसी खबरें भी आ रही है कि वहां लोग चावल को लेकर परेशान चल रहे हैं। स्टोर्स में चावल कम पड़ रहे हैं।

बासमती चावल पर प्रतिबंध क्यों?

चावल की घरेलू कीमतें बढ़ती जा रही है। खुदरा कीमतों में एक साल में 11.5% और पिछले महीने में 3% की वृद्धि हुई है। सरकार ने कहा कि निर्यात प्रतिबंध का उद्देश्य भारतीय बाजार में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना और घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि को कम करना था। उत्तर में चावल उत्पादक राज्यों में भारी मानसूनी बारिश और देश के अन्य हिस्सों में कम बारिश जैसे अप्रत्याशित मौसम परिवर्तनों के कारण देश में चावल उत्पादन प्रभावित हुआ था। पिछले कुछ हफ्तों में उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा में नई बोई गई फसलों को नुकसान हुआ है और कई किसानों को दोबारा रोपाई करनी पड़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, चावल उगाने वाले अन्य राज्यों में किसानों ने धान की नर्सरी तैयार कर ली है, लेकिन अपर्याप्त वर्षा के कारण रोपाई नहीं कर पा रहे हैं।

किन देशों के प्रभावित होने की संभावना है?

डेटा एनालिटिक्स फर्म ग्रो इंटेलिजेंस ने एक रिपोर्ट में कहा कि सभी वैश्विक चावल शिपमेंट में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है, इसलिए यह निर्णय चावल आयात पर अत्यधिक निर्भर देशों में खाद्य असुरक्षा को बढ़ाने का जोखिम उठा सकता है। जिन देशों पर प्रतिबंध लगने की संभावना है उनमें अफ्रीकी देश, तुर्की, सीरिया और पाकिस्तान शामिल हैं, जो पहले से ही उच्च खाद्य-मूल्य महंगाई से जूझ रहे हैं। भारतीय चावल के कुछ टॉप खरीदारों में बेनिन, सेनेगल, आइवरी कोस्ट, टोगो, गिनी, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देश शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक मांग के कारण गैर-बासमती सफेद चावल के भारतीय निर्यात में दूसरी तिमाही में साल-दर-साल 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। चावल के तीन अरब से अधिक उपभोक्ता हैं और लगभग 90 प्रतिशत जल-गहन फसल का उत्पादन एशिया में होता है।

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