पूरी दुनिया मंदी की चपेट में है। 2008 में भी जब मंदी आई थी तो अमेरिका की हालत खराब हो गई थी। इस बार की मंदी में अमेरिका घुटनों पर गिरता दिख रहा है। हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, हर तीन में से दो अमेरिकी अपना किराना का बिल नहीं भर पा रहे हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट?
अमेरिका में किए गए एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन खरीदारी और राशन की डिलीवरी सर्विस ने कोविड महामारी के शुरुआती समय में काफी लोकप्रियता हासिल की थी, लेकिन इस समय की स्थिति काफी बदल गई है। इस साल बढ़ती महंगाई के कारण उपभोक्ता इन स्टोर (खुदरा दुकानदार) से अधिक खरीदारी कर रहे हैं, जिनकी संख्या करीब एक तिहाई है। वहीं तीन-चौथाई लोगों का कहना है कि वो महंगे चीजों को खरीदने से परहेज कर रहे हैं तो कुछ का कहना है कि वो अब तक अपना पुराना बिल तक नहीं भर पाए हैं।
महंगाई के आंकड़े राहत भरे
बता दें, अमेरिका में थोक महंगाई में कमी आई है। नवंबर में घटकर 7.4 प्रतिशत पर आ गई है। यह लगातार पांचवां महीना है जबकि थोक महंगाई घटी है। आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में थोक महंगाई आठ प्रतिशत पर थी जबकि मार्च में यह 11.7 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही थी। थोक महंगाई में लगातार पांचवें महीने आई इस गिरावट से यह संकेत मिलता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर महंगाई का दबाव लगातार कम हो रहा है। अमेरिकी सरकार ने शुक्रवार को कहा कि मासिक आधार पर उसका उत्पादक मूल्य सूचकांक अक्टूबर की तुलना में नवंबर में 0.3 प्रतिशत बढ़ा है। यह लगातार तीसरा महीना है जबकि यह सूचकांक बढ़ा है। यह सूचकांक उपभोक्ताओं तक उत्पाद के पहुंचने से पहले की लागत के बारे में बताता है।
भारत में क्या है हाल?
भारत में खुदरा महंगाई में अक्टूबर के महीने में कमी दर्ज की गई है। खाद्य उत्पादों के दाम कम होने से खुदरा महंगाई 7.41 से घटकर 6.77 प्रतिशत पर आ गयी थी। हालांकि यह अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।