उद्योगपति गौतम अडाणी ने समूह की कंपनियों के शेयरों में जारी गिरावट के बीच गुरुवार को पहली बार चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा, कंपनी की बुनियाद मजबूत है। हमारा बही-खाता ठोस और परिसम्पत्तियां मजबूत हैं। हमारा कर पूर्व आय (ईबीआईटीडीए) का स्तर और नकदी प्रवाह काफी मजबूत रहा है तथा लोन चुकाने का हमारा रिकॉर्ड बेदाग है। उन्होंने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण उनके समूह की प्रमुख कंपनी के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को पूर्ण अभिदान मिलने के बाद भी उसे वापस लेने का फैसला किया गया।
हिंडनबर्ग रिसर्च के बाद शेयरों में बिकवाली
अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में बंदरगाह से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में कारोबार कर रहे समूह पर ‘गड़बड़ी’ और ‘खाते में धोखाधड़ी’ के आरोप के बाद दोनों पक्षों के बीच सार्वजनिक तौर पर जारी ‘वार-पलटवार’ के बीच पहली बार अडाणी ने बयान जारी किया। अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट जारी रही। एक सप्ताह में कुल मिलाकर समूह को करीब 108 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है। देश के इतिहास में किसी एक समूह के बाजार पूंजीकरण में यह सबसे बड़ी गिरावट में से एक है। अडाणी ने वीडियो संदेश में निवेशकों से कहा, अडाणी एंटरप्राइजेज के एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिलने के बाद उसे वापस लेने के फैसले से कई लोगों को हैरानी हुई होगी। लेकिन कल (बुधवार) बाजार में आए उतार-चढ़ाव को देखते हुए निदेशक मंडल का मानना है कि एफपीओ को जारी रखना नैतिक रूप से सही नहीं होगा। कंपनी ने निवेशकों का पैसा वापस करने का निर्णय किया है।
एफपीओ 31 जनवरी को बंद हुआ था
अडाणी एंटरप्राइजेज लि.(एईएल) का शेयर बृहस्पतिवार को बीएसई में 1,564.70 रुपये पर बंद हुआ। एफपीओ के तहत जिस मूल्य पर निवेशकों को शेयर की पेशकश की गयी थी, यह उसका आधा है। एफपीओ 31 जनवरी को बंद हुआ था। समूह से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यह महसूस किया गया कि जब शेयर खुले बाजार में काफी कम दर पर उपलब्ध हैं, ऐसे में एईएल का शेयर 3,112 से 3,276 के कीमत दायरे में देना निवेशकों के साथ धोखाधड़ी होगी। पिछले महीने कुल 20,000 करोड़ रुपये मूल्य का एफपीओ लाने की घोषणा की गयी थी, उस समय पेशकश मूल्य शेयर के बाजार मूल्य से अच्छा-खासा नीचे था।
सभी 10 कंपनियों के शेयरों में बिकवाली
लेकिन अमेरिका की शोध कंपनी की रिपोर्ट के बाद समूह की सभी 10 कंपनियों के शेयरों में बिकवाली शुरू हो गयी और समूह को अबतक कुल मिलाकर 108 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है। अडाणी ने कहा, ‘‘एक उद्यमी के रूप में चार दशकों से अधिक की मेरी सहज यात्रा में मुझे सभी पक्षों से खासकर निवेशकों भरपूर समर्थन मिला। मेरे लिये, निवेशक समुदाय के हित सबसे ऊपर है और हर चीज इसके बाद आती है। इसीलिए निवेशकों को संभावित नुकसान से बचाने के लिये, हमने एफपीओ को वापस लिया है। अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट को लेकर संसद में भी मामला उठा। अडाणी ने कहा, ‘‘मौजूदा कामकाज और भावी योजनाओं पर इस फैसले का कोई असर नहीं होगा। हम परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे। हम लंबी अवधि के मूल्य निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे और वृद्धि के कार्य आंतरिक संसाधनों के जरिये किये जाएंगे। बाजार स्थिर होने के बाद शेयर बिक्री की योजना बनायी जाएगी।
इंटरनेशनल होल्डिंग ने कहा पैसा मिल गया
अडाणी ने कहा, ‘हमारा ध्यान ‘ईएसजी’ (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) पर अधिक रहेगा और हमारा हर व्यापार जिम्मेदारी के साथ काम करेगा और मूल्य सृजित करेगा। हमारे कामकाज के तरीकों को सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय भागीदारों ने स्वीकृत किया है।’’ इस बीच, एफपीओ में एंकर यानी बड़े निवेश के रूप में 40 करोड़ डॉलर निवेश करने वाली अबू धाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने कहा कि उसे पैसा मिल गया है। वह उन 33 निवेशकों में शामिल थी जिन्होंने 24 जनवरी को 6,000 करोड़ रुपये लगाये थे। उसी दिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी। सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने एंकर निवेश के लिये रखे गये हिस्से में से पांच प्रतिशत लिया था।