एयर इंडिया (Air India) उड़ान समय सारणी में बदलाव या देरी के बारे में यात्रियों को पहले से जानकारी उपलब्ध करने के लिये नई व्यवस्था स्थापित करेगी। साथ ही कंपनी हवाईअड्डे से संबंधित मुद्दों के समाधान को समन्वय टीम भी स्थापित करेगी। कंपनी द्वारा आंतरिक तौर पर जारी सूचना में यह कहा गया है। विभिन्न कार्यों की समीक्षा के बाद टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया ने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिये सुधार वाले क्षेत्रों की पहचान की है।
एयर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक कैम्पबेल विल्सन ने आंतरिक स्तर पर जारी सूचना में कहा कि एयरलाइन सुधार करने के लिये हवाईअड्डा ‘स्लॉट’ मांगेगी। उन्होंने कहा कि एयरलाइन ‘स्लॉट’ के स्तर पर जो बदलाव चाहती है, उसमें सभी इस सत्र में मिलना मुश्किल है लेकिन हम जानते हैं, हमें क्या करना है। हम सत्र-दर-सत्र इस मामले में आगे बढ़ेंगे। जुलाई महीने में घरेलू बाजार में 8.4 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली एयरलाइन हवाईअड्डे से संबंधित मुद्दों को बेहतर तरीके से समझने के लिये एक हवाईअड्डा/केंद्र नियंत्रण/क्षेत्रीय नियंत्रण समन्वय टीम भी स्थापित करेगी।
बदलाव से पहले दी जाएगी सूचना
सूचना के अनुसार, एयरलाइन की हवाईअड्डा संचालन टीम कामकाज और प्रदर्शन में सुधार के लिये रखरखाव कार्यों से जुड़े भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रही है। इसमें कहा गया है, ‘‘हम अपने ग्राहकों को बेहतर सुविधा देने के लिये व्यवस्था बना रहे हैं। इसमें यात्रियों को उड़ान समयसारणी में बदलाव या देरी के बारे में पहले ही सूचना देना शामिल है। साथ ही जहां भी उपयुक्त हो, उड़ानों में स्वयं से बदलाव की सुविधा भी दी जाएगी।’’ टाटा ने एयर इंडिया का इस साल जनवरी में अधिग्रहण किया था।
DGCA लिख चुका है पत्र
डीजीसीए इसे लेकर पत्र भी लिख चुका है, जिसमें उसके द्वारा कहा गया था कि सभी हवाईअड्डा संचालकों के कमियों का पता लगाने के लिए उनके वन्यजीव जोखिम प्रबंधन कार्यक्रम की समीक्षा की जाए। बता दें, डीजीसीए ने हवाईअड्डा संचालकों से वन्यजीव जोखिम का आकलन करने को कहा है। इसके अलावा नियमित गश्त करने को भी कहा गया है। साथ ही एयरलाइन कंपनियों को यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो इसे सुनिश्चित करने को कहा था और सुरक्षा निगरानी बढ़ाने की दिशा में काम करने का आदेश दिया था।
उड़ान भरने से पहले किन बातों का रखना होता है ख्याल
किसी भी विमान के उड़ान भरने से पहले उसकी कई बारीकी तकनीकी जांच की जाती है। जब पायलट सभी जांच को ओके कर देता है। तब माना जाता है कि विमान उड़ने के काबिल है। इससे पहले फ्लाइट क्रू और मेंटिनेंस क्रू भी जांच में मदद करते हैं। मगर उड़ान भरने से पहले इसकी पूरी जिम्मेदारी पायलट और को पायलट की होती है। मेंटिनेंस टीम विमान के रख-रखाव और प्रबंधन का कार्य देखती है। वह इसकी पूरी सूचना फ्लाइट क्रू को देती है।
यह जांच होती है अनिवार्य
- फायर डिटेक्टर्स, मौसम रडार, वार्निंग लाइट्स और अन्य सिस्टम
- सेंसर सही काम कर रहा है या नहीं
- प्रोब्स और स्ट्रक्चरल कंपोनेंट्स, मोटर्स और केबल का विजुअल इंस्पेक्शन होता है।
- विमान के बाहरी और आंतरिक सभी हिस्सों की बारीकी से तकनीकी जांच होती है।
- हर 500 घंटे की उड़ान के बाद होती है संपूर्ण जांच
- जांच में लगता है पांच से छह घंटे का वक्त
- विमान के सभी पुर्जों, उपकरणों और सिस्टम की कंप्युटराइज्ड जांच हर छह महीने में
- हर दो साल में विमान के कई उपकरण बदल दिए जाते हैं।
- हर छह साल में विमान के 50 फीसद से ज्यादा पार्ट बदले जाते हैं। यह काफी खर्चीला होता है।