ऑडिट और कंसल्टिंग कंपनी डेलॉयट ने कर्मचारियों से जुड़े व्यवहार, पॉलिसी और प्रक्रियाओं पर गौर करने के लिए एक कमेटी बनाई है। टैक्स एडवायजरी फर्म ईवाई में कथित तौर पर काम के अत्यधिक दबाव की वजह से एक युवा कर्मचारी की मौत के बाद सोशल मीडिया पर चल रहे विवाद के बीच कंपनी ने ये कदम उठाया है। डेलॉयट के सीईओ (दक्षिण एशिया) रोमल शेट्टी ने शुक्रवार को ये जानकारी दी। इस कमेटी में पूर्व राजस्व सचिव तरुण बजाज, सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर सुबोध जायसवाल और एयरटेल के पूर्व प्रमुख मनोज कोहली शामिल हैं।
4 प्रमुख ग्लोबल टैक्स कंसल्टिंग कंपनियों में शामिल है डेलॉइट
शेट्टी ने कहा कि डेलॉयट में काम के दबाव को संभालने और एक ओपन वर्क कल्चर रखने के लिए एक चीफ वेलबींग ऑफिसर मौजूद है। इसके अलावा कंपनी में किसी भी तरह के खराब व्यवहार पर सख्त कार्रवाई का भी प्रावधान है। बताते चलें कि डेलॉयट दुनिया की 4 प्रमुख ग्लोबल टैक्स कंसल्टिंग कंपनियों में शामिल है। इन टॉप कंपनियों में ईवाई के अलावा पीडब्ल्यूसी और केपीएमजी हैं। ईवाई में काम करने वाली कर्मचारी की मां ने आरोप लगाए हैं कि उनकी बेटी की काम के अत्यधिक दबाव से मौत हुई है। इस मामले के जोर पकड़ने के बाद सरकार ने भी जांच शुरू कर दी है।
जुलाई में हुई थी एना सेबेस्टियन की मौत
शेट्टी ने कहा, "इस बच्ची की मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और बहुत दुखद है। हम ग्राहकों को सेवाएं देने के बिजनेस में हैं और ग्राहक सेवा व्यवसाय में हमेशा एक समयसीमा होती है। इसमें सभी तरह के दबाव होते हैं।" साल 2023 में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) की परीक्षा पास करने वाली एना सेबेस्टियन पेरयिल ने इस साल 4 महीने तक ईवाई के पुणे ऑफिस में काम किया और जुलाई में उनकी मृत्यु हो गई। एना की मां की तरफ से ईवाई इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी को लिखे गए लेटर के मुताबिक, एक नए कर्मचारी के रूप में एना पर ‘बहुत ज़्यादा’ काम का बोझ था, जिसने उसे‘शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से’ प्रभावित किया था।
एक ऑर्गनाइजेशन के रूप में एक ओपन कल्चर की जरूरत
शेट्टी ने 100-150 साल पुराने संगठनों में किसी को परेशान करने की संस्कृति न होने की बात करने के साथ ही ये भी कहा कि इसके व्यक्तिगत स्तर पर उल्लंघन को नकारा भी नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा, "परेशान करने की संस्कृति आमतौर पर प्रोफेशनल कंपनियों में नहीं होती है। लेकिन क्या ऐसे व्यक्ति हैं जो कुछ खास चीजें करते हैं? हां, बिल्कुल। इसलिए सबसे पहले, मुझे लगता है कि एक ऑर्गनाइजेशन के रूप में, आपको एक ओपन कल्चर की जरूरत है, ताकि कोई भी व्यक्ति उन मुद्दों को सामने लाने से न डरे।"
पीटीआई इनपुट्स के साथ