खुदरा के बाद थोक महंगाई के मोर्चे पर राहत मिली है। थोक महंगाई जनवरी में घटकर 0.27 प्रतिशत पर आ गई। खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी इसकी प्रमुख वजह रही। दिसंबर 2023 में यह 0.73 प्रतिशत थी। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से अक्टूबर तक लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी। नवंबर में यह 0.39 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में लिए 0.27 प्रतिशत (अस्थायी) रही।’’ थोक मुद्रास्फीति जनवरी 2023 में 4.8 प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 में खाद्य सामग्री की महंगाई दर 6.85 प्रतिशत रही जो दिसंबर 2023 में 9.38 प्रतिशत थी। जनवरी में सब्जियों की महंगाई दर 19.71 प्रतिशत, जो दिसंबर 2023 में 26.3 प्रतिशत रही थी। जनवरी में दालों में थोक मुद्रास्फीति 16.06 प्रतिशत थी, जबकि फलों में यह 1.01 प्रतिशत रही।
रेपो रेट में बदलाव नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) या खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने के उद्देश्य से नीतिगत दर रेपो को स्थिर रखा था। खुदरा मुद्रास्फीति अब भी पांच प्रतिशत से ऊपर है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) जनवरी 2024 में मासिक आधार पर शून्य से नीचे 0.33 प्रतिशत रहा। प्राथमिक वस्तुओं का सूचकांक जनवरी 2024 में मासिक आधार पर 1.04 प्रतिशत घटकर 181 रहा। दिसंबर में यह 182.9 था। दिसंबर 2023 की तुलना में इस साल जनवरी में खनिजों की कीमतें 0.93 प्रतिशत बढ़ीं। दूसरी ओर दिसंबर 2023 की तुलना में जनवरी 2024 में कच्चे पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस की कीमतों में 0.33 प्रतिशत, गैर-खाद्य वस्तुओं में 0.49 प्रतिशत और खाद्य वस्तुओं में 1.36 प्रतिशत की गिरावट आई।