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अडाणी के बाद अब वेदांता के पीछे पड़ा OCCRP, इस काम के लिए ‘गोपनीय ढंग से लॉबिंग’ करने का लगाया आरोप

रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक मामले में, वेदांता ने यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाला कि खनन कंपनियां नई पर्यावरणीय मंजूरी के बिना 50 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन कर सकें।’

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: September 01, 2023 14:59 IST
अनिल अग्रवाल- India TV Paisa
Photo:FILE अनिल अग्रवाल

खोजी पत्रकारों के वैश्विक नेटवर्क ‘ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (ओसीसीआरपी) की नयी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि खनन तथा तेल के कारोबार से जुड़ी कंपनी वेदांता ने वैश्विक महामारी के दौरान अहम पर्यावरण नियमों को कमजोर करने के लिए ‘गोपनीय ढंग से लॉबिंग’ की। इससे पहले ओसीसीआरपी ने अडाणी समूह पर गुपचुप तरीके से अपने ही कंपनियों के शेयरों में निवेश का बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था। जॉर्ज सोसोस द्वारा वित्तपोषित गैर-लाभकारी संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि भारत सरकार ने सार्वजनिक परामर्श के बिना कुछ परिवर्तनों को मंजूरी दी और उन्हें ‘‘अवैध तरीकों’’ से लागू किया गया। 

विवादास्पद तेल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई 

रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक मामले में, वेदांता ने यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाला कि खनन कंपनियां नई पर्यावरणीय मंजूरी के बिना 50 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन कर सकें।’’ रिपोर्ट में दावा किया गया कि वेदांता की तेल व्यवसाय कंपनी, केयर्न इंडिया ने भी सरकारी नीलामी में हासिल किए गए तेल ब्लॉकों में ‘ड्रिलिंग’ के लिए सार्वजनिक सुनवाई रद्द करने की पैरवी भी की। तब से स्थानीय विरोध के बावजूद राजस्थान में केयर्न की छह विवादास्पद तेल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। वेदांता के प्रवक्ता ने टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर कहा कि समूह ''टिकाऊ तरीके से घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर आयात कम करने के उद्देश्य से काम करता है।'' प्रवक्ता ने ओसीसीआरपी की रिपोर्ट का खंडन किए बिना कहा, ''इसी के मद्देनजर, राष्ट्रीय विकास और प्राकृतिक संसाधनों में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के आगे बढ़ने के लिए सरकार के समक्ष विचार के लिए लगातार अभ्यावेदन दिए जाते हैं।'' 

पर्यावरणीय मंजूरी के बिना उत्पादन बढ़ाने की सिफारिश 

ओसीसीआरपी ने कहा कि वेदांता समूह के संस्थापक और चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने जनवरी 2021 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से कहा था कि सरकार खनन कंपनियों को नई पर्यावरणीय मंजूरी के बिना उत्पादन को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति देकर भारत की आर्थिक वृद्धि में तेजी ला सकती है। अग्रवाल ने जावड़ेकर को लिखा, ''उत्पादन और आर्थिक वृद्धि को तुरंत बढ़ावा देने के साथ ही इससे सरकार को भारी राजस्व मिलेगा और बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होंगी।'' उन्होंने सिफारिश की कि यह बदलाव ''एक साधारण अधिसूचना'' के जरिए किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि जावड़ेकर ने इस दिशा में तेजी से काम किया और ''उन्होंने अपने मंत्रालय के सचिव और वानिकी महानिदेशक को नीतिगत मुद्दे पर चर्चा करने का निर्देश दिया। इस पत्र पर उन्होंने इसे बेहद महत्वपूर्ण बताया।'' 

हजारों सरकारी दस्तावेजों को खंगाला गया

ओसीसीआरपी ने कहा इसी तरह के बदलाव के लिए उद्योग जगत के पिछले प्रयास सफल नहीं हो सके थे, लेकिन इस बार अग्रवाल को वह मिला, जो वह चाहते थे। ओसीसीआरपी ने कहा कि उसने हजारों सरकारी दस्तावेजों को खंगाला है, जिनमें आंतरिक ज्ञापन और बंद कमरे में हुई बैठकों के चर्चा बिंदु से लेकर अग्रवाल के पत्र शामिल हैं। ये पत्र सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल कर हासिल किए गए। इसमें दावा किया गया, ''रिकॉर्ड दिखाते हैं कि सरकारी अधिकारियों ने उद्योग और विशेष रूप से वेदांता के अनुरोधों के अनुसार नियमों को तैयार किया।''

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