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RBI का डिगा भरोसा लेकिन ADB को भारत पर पूरा विश्वास, आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7% पर बरकरार

इस वर्ष एशिया 4.2 फीसदी की दर से बढ़ेगा, 2023 में उसकी वृद्धि 4.6 फीसदी की दर से होने का अनुमान है। हालांकि पहले उसने इस वर्ष एशिया की वृद्धि दर 4.3 फीसदी और 2023 में 4.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: December 14, 2022 13:16 IST
GDP Growth- India TV Paisa
Photo:FILE GDP Growth

भारतीय अर्थव्यवस्था महंगाई और घटती विकास दर जैसी चुनौ​तियों से जूझ रही है। सिकुड़ती अर्थव्यवस्था की स्थिति को भांपते हुए हाल ही में रिजर्व बैंक ने भी भारत की विकास दर को घटा दिया था। लेकिन रिजर्व बैंक के अनुमानों के उलट एशियाई विकास बैंक (ADB) ने 2022-23 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को सात फीसदी पर अपरिवतर्तित रखा है। 

सितंबर के अनुमानों पर अडिग ADB

एशिया की वृद्धि की रफ्तार पहले के मुकाबले कुछ कमजोर रहने वाली है। एडीबी ने 2022-23 (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि सात फीसदी रहने का जो अनुमान जताया है वह सितंबर के अनुमान के समान ही है, इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। हालांकि 2021-22 में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि 8.7 फीसदी रही थी। उसने वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए भी जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7.2 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है। 

घटेगी एशिया की तरक्की की रफ्तार 

एडीबी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस वर्ष एशिया 4.2 फीसदी की दर से बढ़ेगा, 2023 में उसकी वृद्धि 4.6 फीसदी की दर से होने का अनुमान है। हालांकि पहले उसने इस वर्ष एशिया की वृद्धि दर 4.3 फीसदी और 2023 में 4.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के 7 फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान है जिसकी वजह उसकी मजबूत घरेलू बुनियाद है।’’ 

कंज्यूमर प्रोडक्ट की घटती मांग चुनौतीपूर्ण 

इसमें आगे कहा गया, ‘‘उच्च आवृत्ति वाले कुछ हालिया संकेतक अनुमान से कहीं अधिक अनुकूल हैं मसलन उपभोक्ताओं का विश्वास, बिजली आपूर्ति, पीएमआई जबकि कुछ ऐसे संकेतक हैं जो पूरी तरह से अनुकूल नहीं हैं वे हैं निर्यात विशेषकर कपड़ा और लौह अयस्क का तथा उपभोक्ता उत्पादों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक।’’ इसमें कहा गया कि 2023-24 के लिए 7.2 फीसदी के वृद्धि के अनुमान को बरकरार रखने की वजह संरचनात्मक सुधार और निजी निवेश को उत्प्रेरित करने वाले सार्वजनिक निवेश के सकारात्मक प्रभाव हैं।’’ एडीबी ने कहा, ‘‘भारत में दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के बीच अर्थव्यवस्था 6.3 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो सार्वजनिक खपत में 4.4 फीसदी का संकुचन दर्शाता है। जबकि वैश्विक स्तर पर नरमी के बावजूद निर्यात 11.5 फीसदी की दर से बढ़ा।’’

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