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डेलॉयट के अडाणी पोर्ट्स का ऑडिट छोड़ने पर अब Adani Group ने दी अब ये अहम जानकारी

डेलॉयट लेखा परीक्षक के रूप में बने रहने को तैयार नहीं थी और इसलिए, ग्राहक-लेखा परीक्षक संविदात्मक संबंध को सौहार्दपूर्ण ढंग से समाप्त करने पर सहमति हुई।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 13, 2023 16:12 IST
अडाणी पोर्ट्स- India TV Paisa
Photo:PTI अडाणी पोर्ट्स

अडाणी समूह की एक कंपनी से लेखा परीक्षक (ऑडिट ) के तौर पर इस्तीफा देने से पहले डेलॉयट ने अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की बाहर से स्वतंत्र जांच कराने की मांग की थी। डेलॉयट 2017 से एपीएसईजेड की ऑडिटर थी। जुलाई 2022 में इसे पांच और साल का कार्यकाल दिया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अडाणी ग्रुप ने हालांकि कहा कि हिंडनबर्ग के आरोपों का कंपनी की वित्तीय लेखा-जोखा पर कोई असर नहीं पड़ा था। इसलिए  डेलॉयट के छोड़कर जाने के लिए बताया गया कारण संतोषजनक नहीं था। अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशन इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने शेयर बाजार को भेजे 163 पन्नों की रिपोर्ट में डेलॉयट हास्किंस एंड सेल्स एलएलपी का इस्तीफा भेजा था। एपीएसईजेड ने कहा कि डेलॉयट के अधिकारियों ने बैठक में अडाणी समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों के लेखा परीक्षक (ऑडिटर) के रूप में व्यापक ऑडिट भूमिका की कमी पर चिंता व्यक्त की। 

कंपनी मांग मानने को प्रतिबद्ध नहीं 

हालांकि, फर्म ने ऑडिटर को बताया कि ऐसी नियुक्तियों की सिफारिश करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है क्योंकि अन्य संस्थाएं पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव और एपीएसईजेड की लेखापरीक्षा समिति के चेयरमैन गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा, ''(एपीएसईज़ेड की) लेखापरीक्षा समिति का विचार था कि वैधानिक लेखापरीक्षक के रूप में इस्तीफे के लिए डेलॉयट द्वारा दिए गए आधार इस तरह के कदम के लिए ठोस या पर्याप्त नहीं थे।'' उन्होंने कहा कि डेलॉयट लेखा परीक्षक के रूप में बने रहने को तैयार नहीं थी और इसलिए, ग्राहक-लेखा परीक्षक संविदात्मक संबंध को सौहार्दपूर्ण ढंग से समाप्त करने पर सहमति हुई। डेलॉयट ने 12 अगस्त के अपने पत्र में कहा था कि वह एपीएसईजेड के लेखा परीक्षक की भूमिका से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रही है, क्योंकि ''क्योंकि हम अडाणी समूह की अन्य कंपनियों के वैधानिक लेखा परीक्षक नहीं हैं।'' 

हिंडनबर्ग ने इस साल 24 जनवरी को लगाया था आरोप

हिंडनबर्ग ने इस साल 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अडाणी समूह पर धोखाधड़ी, शेयरों में गड़बड़ी और काले धन को के आरोप लगाये थे। साथ ही संबद्ध पक्षों के बीच लेन-देन की बात कही थी। अडाणी समूह ने सभी आरोपों को आधारहीन बताया था। डेलॉयट का कहना था कि अडाणी समूह ने इन आरोपों की जांच स्वतंत्र बाहरी एजेंसी से कराना जरूरी नहीं समझा। इसका कारण उनका अपना आकलन तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की जारी जांच है। कंपनी ने अडाणी पोर्ट्स के वित्तीय ब्योरे में कहा था, ‘‘समूह की तरफ से किया गया मूल्यांकन हमारे ऑडिट के उद्देश्यों के लिए पर्याप्त उचित साक्ष्य उपलब्ध नहीं करता है।

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