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Adani Agri Logistics: अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स ने यूपी, बिहार में 4 साइलो कॉम्प्लेक्स बनाने की बोली जीती

अडाणी एग्री के इस प्रॉजेक्ट से उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों के किसानों को लाभ होगा। इन साइलो की कुल भंडारण क्षमता 3.50 लाख मीट्रिक टन होगी।

Reported By: Nirnaya Kapoor
Published on: October 14, 2022 23:08 IST
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Photo:INDIA TV अडाणी एग्री ने कई कंपनियों को हराकर यह बोली जीती है।

Highlights

  • AALL के प्रोजेक्ट से यूपी और बिहार के किसानों को फायदा होगा।
  • अडाणी एग्री ने कई कंपनियों को पछाड़कर यह बोली जीती है।
  • नए साइलो की कुल भंडारण क्षमता 3.5 लाख टन होगी।

Adani Agri Logistics: अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड ने हाल ही में उत्तर प्रदेश और बिहार में 4 साइलो कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए FCI से एक डील हासिल की है। कंपनी ने इस बारे में शुक्रवार को घोषणा की। कंपनी ने बताया कि अत्याधुनिक साइलो कॉम्प्लेक्स 4 स्थानों उत्तर प्रदेश में कानपुर, गोंडा और संडीला और बिहार के कटिहार में बनाए जाएंगे। इन साइलो की कुल भंडारण क्षमता 3.5 लाख टन होगी। भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने प्रतिस्पर्धी बोली के बाद अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड को ठेका दिया।

तकनीक से अनाज की लोडिंग और अनलोडिंग में होगा फायदा

साइलो कॉम्प्लेक्स मशीनीकृत और स्वचालित इकाइयां हैं जो तापमान और आर्द्रता नियंत्रण से लैस होती हैं। साइलो अनाज को स्टोर करने की एक नवीन और अत्याधुनिक तकनीक है, जिसको अपना कर अनाज भंडार करने की पारंपरिक क्षमता से कहीं ज्यादा अनाज को स्टोर किया जा सकता है। इन टैंकों में बिना बोरी के अनाज को लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है। इस अत्याधुनिक तकनीक की सहायता से अनाज की लोडिंग और अनलोडिंग में भी काफी लाभ होता है।

अनाज के खेत से मंडी पहुंचने तक के वक्त में आएगी कमी
AALL की परियोजना से उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों के किसानों को लाभ होगा, साथ ही सामान्य उपभोक्ताओं और PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के लाभार्थियों को भी मदद मिलेगी। वर्तमान में, किसानों को खेत से मंडी तक अपना अनाज पहुंचाने के लिए 2 से 3 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। इस परियोजना के शुरू होने के साथ ही यही काम सिर्फ एक या दो घंटे के अंदर हो जाएगा। इससे अनाज खरीदने की सुविधा बेहतर होगी। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना से आम उपभोक्ताओं और PDS के लाभार्थियों को लाभ होगा और बाकी बचत भी होगी।

भारत की साइलो भंडारण क्षमता 15.25 लाख मीट्रिक टन होगी
इस प्रोजेक्ट को डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (DBFOT) मोड के तहत एक्जिक्यूट किया जाएगा। इसमें हब साइलो कॉम्प्लेक्स होंगे, जो कि ऐसे साइलो कॉम्प्लेक्स हैं जो कंटेनर डिपो के साथ आते हैं। इसके अलावा इसमें स्पोक साइलो कॉम्प्लेक्स जो कंटेनर डिपो के बिना होते हैं। 3.50 लाख मीट्रिक टन की अतिरिक्त भंडारण क्षमता के साथ AALL के पास अब भारत में 24 स्थानों पर कुल 15.25 लाख मीट्रिक टन साइलो भंडारण क्षमता होगी।

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