Highlights
- भारत की पहली स्टील की यह सड़क छह लेन की है
- यह सड़क भारत का ड्रीम पायलट प्रोजेक्ट है
- यह सड़क बारिश, धूप, और बाढ़ में भी अपनी मजबूती बरकरार रखती है
भारत में हर दिन कुछ न कुछ नया हो रहा है। कभी दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति बन रही है तो कभी दुनिया का सबसे ऊँचा पुल तो कभी क्रिकेट का सबसे बड़ा स्टेडियम! इस बार कुछ अलग हुआ है, इस बार भारत ने स्टील की सड़क बना डाली है वो भी लाखों टन के कचरे से, है न अजूबा!
भारत कुछ नया और बड़ा करने के लिए जाना जाता है। यूं तो हमारे यहां सड़कों का जाल है लेकिन अब गुजरात के सूरत में स्टील की भी सड़क बन गई है। एक किलोमीटर लंबी स्टील की यह सड़क बहुत खास है। भारत के विभिन्न स्टील प्लांट के कचरे यूं ही बर्बाद होते रहे हैं। परिवहन मंत्रालय, सड़क इंजीनियर और पर्यावरण वैज्ञानिक को लगा कि कचरे को क्यों न टिकाऊ सड़क में तब्दील किया जाए। इस आईडिया पर अमल हुआ और देखिए भारत स्टील की सड़क वाला देश बन गया। भारत में हर साल स्टील प्लांट से लगभग 20 मिलियन टन स्टील का कचरा निकलता है। साल 2030 आते आते यह आंकड़ा 45 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा। तब सड़क बनाने की यह विधि भारत के बहुत काम आएगी।
यह सड़क पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाती है। इसपर प्रत्येक दिन एक हजार ट्रक भारी वजन लेकर गुजर सकता है। भारत सरकार को सड़कों की मरम्मत में हर साल करोड़ों रूपये खर्च करने पड़ते हैं जबकि स्टील के इस सड़क की मरम्मत की आवश्यकता बहुत कम पड़ेगी इससे भारत की तिजोरी पर कम बोझ पड़ेगा।
भारत की पहली स्टील की यह सड़क छह लेन की है। इसे बनाने में स्टील प्लांट का एक करोड़ नब्बे लाख टन कचरा का उपयोग हुआ है। यह सड़क भारत का ड्रीम पायलट प्रोजेक्ट है। यानी यह प्रयोग यदि सफल होता है तो भारत के सड़क परिवहन में क्रांति आ सकती है। आने वाले समय में क्या पता आप जिस क्षेत्र में रहते हैं वहां की स्टील की सड़कों पर ड्राइविंग करते हुए आप पाए जाएं।
स्टील की इस प्रकार की सड़क बनाने में इंजीनियर, वैज्ञानिक और मजदूरों को रात दिन एक करना पड़ा। सबसे पहले स्टील प्लांट के कचरे को एक जगह इकट्ठा किया गया। उसके बाद उन कचरों से स्टील की गिट्टी बनाई गई। इस गिट्टी का उपयोग सड़क में किया गया। कचरे का उपयोग इस प्रकार से करने से भारत को कचरा मुक्त करना आसान होगा और साथ में एक बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर भी मिलेगा। यह सड़क बारिश, धूप, और बाढ़ में भी अपनी मजबूती बरकरार रखती है।
सूरत की इस खास स्टील की सड़क की मोटाई सामान्य सड़क से बहुत कम है। सामान्य सड़क को ज्यादा से ज्यादा मोटा बनाने की कोशिश की जाती है ताकि वे बहुत टिकाऊ बने, इसके बावजूद सामान्य सड़क मरम्मत की पुकार बहुत जल्द करने लगती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सड़क की मोटाई सामान्य सड़क से 30 प्रतिशत कम है। इसके बावजूद यह सामान्य सड़को की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक टिकाऊ है। यदि खर्च की बात करें तो पत्थर और गिट्टी की सड़क बनाने में प्रति वर्ग मीटर 2100-2200 रूपये खर्च करने पड़ते हैं जबकि स्टील की सड़क में प्रति वर्ग मीटर मात्र 1200 रुपया लगता है। यानी खर्चीली कम और टिकाऊ ज्यादा!