DGCA Company: वित्तीय संकट में घिरी एयरलाइन गो फर्स्ट को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से नौ अन्य विमानों का पंजीकरण खत्म करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही अबतक कुल 45 विमानों का पंजीकरण खत्म करने और उन्हें वापस लेने की मांग डीजीसीए के पास पिछले एक हफ्ते में आ चुकी है। डीजीसीए की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के मुताबिक, पट्टे पर विमान मुहैया कराने वाली कंपनियों ने गो फर्स्ट को दिए गए नौ अन्य विमानों की सूचीबद्धता खत्म करने का अनुरोध किया है। गत दो मई को विमान परिचालन बंद करने की घोषणा करते समय गो फर्स्ट के बेड़े में कुल 55 विमान मौजूद थे। एयरलाइन ने इंजन की आपूर्ति नहीं होने से पैदा हुए वित्तीय संकट को जिम्मेदार बताते हुए अपनी उड़ानें 12 मई तक रोक दी है। इसके अलावा उसने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष दिवाला समाधान प्रक्रिया की अर्जी भी लगाई है जिस पर बुधवार को फैसला आने की उम्मीद है।
Go First का क्या होगा भविष्य?
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) वित्तीय संकट से घिरी एयरलाइन गो फर्स्ट के दिवाला समाधान आवेदन पर बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा। एनसीएलटी की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक गो फर्स्ट के आवेदन पर बुधवार सुबह न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रामलिंगम सुधाकर और एल एन गुप्ता की पीठ फैसला सुनाएगी। पिछले हफ्ते पीठ ने गो फर्स्ट की याचिका पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। गो फर्स्ट ने अपना वित्तीय संकट गहराने के बाद एनसीएलटी के पास स्वैच्छिक दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी लगाई हुई है। हालांकि, एयरलाइन को पट्टे पर विमान उपलब्ध कराने वाली कंपनियों ने इसका विरोध किया है।
बुधवार को होगा फैसला
एनसीएलटी की पीठ बुधवार को एयरलाइन की उस अर्जी पर भी फैसला करेगी जिसमें उसकी वित्तीय देनदारियों पर अंतरिम रोक लगाने की अपील की गई है। उसपर करीब 11,463 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं। वाडिया समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन ने विमान इंजन की आपूर्ति संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए कहा था कि वित्तीय संकट होने से वह उड़ानों का परिचालन नहीं कर पा रही है। उसने तीन मई से ही उड़ानें रद्द कर दी हैं और 15 मई तक टिकटों की बुकिंग भी नहीं कर रही है।