रिलायंस रिटेल, जिंदल पावर लिमिटेड और अडाणी समूह समेत 49 कंपनियों ने फ्यूचर रिटेल की परिसंपत्तियों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाते हुए अभिरुचि पत्र (ईओआई) सौंपा है। कर्ज में डूबी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) इस समय दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है। रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड, आरआईएल के खुदरा परिचालन के लिए होल्डिंग कंपनी है। दूसरी ओर अप्रैल मून रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, अडाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स और फ्लेमिंगो समूह का एक संयुक्त उद्यम है। इन दोनों कंपनियों ने अपना ईओआई पेश किया है।
बोली लगाने में ये कंपनियां भी शामिल
फ्यूचर रिटेल के कर्जदाताओं ने एफआरएल की परिसंपत्तियों को समूहों में विभाजित करने के बाद नयी बोली आमंत्रित करने का फैसला किया है। एफआरएल के समाधान पेशेवर ने बताया कि दिलचस्पी दिखाने वाले 49 प्रतिभागियों को ''दूसरे विकल्प के तहत किसी भी/ सभी ऐसे समूहों के लिए समाधान योजना'' जमा करने की अनुमति होगी। अभिरुचि पत्र (ईओआई) जमा करने वाली कुछ अन्य कंपनियों में सेंचुरी कॉपर कॉर्प, ग्रीनटेक वर्ल्डवाइड, हर्षवर्धन रेड्डी, जे सी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, पिनेकल एयर प्राइवेट लिमिटेड, यूनिवर्सल एसोसिएट्स और डब्ल्यूएचस्मिथ ट्रैवल लिमिटेड शामिल हैं।
कर्जदाताओं ने नए सिरे से बोलियां मांगीं थी
आपको बता दें कि फ्यूचर रिटेल के कर्जदाताओं ने इसी महीने नए सिरे से बोलियां मांगी थी। कंपनी के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया 20 जुलाईए 2022 को शुरू की गयी थी और बोली जमा करने के लिये दो बार समयसीमा बढ़ायी गयी। इसको देखते हुए कर्जदाताओं ने खरीदारों के लिये सौदा आकर्षक बनाने के लिये संपत्तियों को अलग.अलग इकाई में बांटने का निर्णय किया। समाधान योजना के तहत बोली जमा करने की अंतिम तिथि 15 दिसंबरए 2022 थी। इसे बाद में बढ़ाकर 16 जनवरीए 2023 किया गया और बाद में 20 फरवरीए 2023 किया गया। हालांकिए एफआरएल को समयसीमा के दौरान कोई समाधान योजना नहीं मिली। उसके बाद कर्जदाताओं की समिति से मंजूरी मिलने के पश्चात समाधान पेशेवर ने रुचि पत्र आमंत्रित किये। इसमें बोलीदाता पूरी कंपनी के लिये या किसी भी संपत्ति के लिये बोली लगा सकते हैं। नये सिरे से रुचि पत्र जमा करने की अंतिम तिथि सात अप्रैल 2023 थी। नये आमंत्रित रुचि पत्र के तहत कर्जदाताओं की समिति ने दो विकल्प दिये हैं। पहले विकल्प के तहतए संभावित आवेदनकर्ता पूरी कंपनी के लिये बोली लगा सकते हैं। इसमें अनुषंगी इकाइयों में उसकी हिस्सेदारी भी शामिल है। वहीं दूसरे विकल्प के तहत बोलीदाता संपत्ति की एक इकाई या कुछ इकाइयों के लिये बोली लगा सकते हैं।