सरकार ने नीतिगत दर तय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) का मंगलवार को पुनर्गठन किया है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को बयान में कहा कि राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार को एमपीसी का नया बाहरी सदस्य नियुक्त किया गया है। सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत मौद्रिक नीति समिति के पुनर्गठन को अधिसूचित किया है। पुनर्गठन के तहत दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रो. राम सिंह, अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य और नयी दिल्ली स्थित औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक और मुख्य कार्यपालक डॉ. नागेश कुमार इसके बाह्य सदस्य बनाये गये हैं। नीतिगत दर तय करने वाली एमपीसी के प्रमुख भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर हैं। पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक 7 से 9 अक्टूबर को होनी है। बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकान्त दास नौ अक्टूबर को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेंगे। जानकारों का कहना है कि ब्याज दरों में बदलाव होगा या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है।
4 साल की अवधि के लिए पद पर बने रहेंगे
केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त मौद्रिक नीति समिति के बाहरी सदस्य तत्काल प्रभाव से या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चार साल की अवधि के लिए पद पर बने रहेंगे। एमपीसी का गठन 2016 में मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौते को अंतिम रूप देने के बाद किया गया था। इसमें मुद्रास्फीति के लक्ष्य का निर्धारण किया गया था। इसके तहत आरबीआई को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी दी गयी। इस समय एमपीसी के बाह्य सदस्यों में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ.आशिमा गोयल, नेशनल काउंसिल फॉर एप्लॉयड इकनॉमिक रिसर्च में वरिष्ठ सलाहकार शंशाक भिडे और भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद के प्रोफेसर जयंत आर वर्मा हैं।
एमपीसी में छह सदस्य होना जरूरी
नये नियुक्त सदस्य इनका स्थान लेंगे। आरबीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, एमपीसी में छह सदस्य होते हैं। तीन सदस्य आरबीआई से और तीन केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। छह सदस्यीय समति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करते हैं। इसके आधिकारिक सदस्यों में रिजर्व बैंक में मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर और मौद्रिक नीति विभाग के कार्यकारी निदेशक इसके सदस्य होते हैं।