लखनऊ। बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के साथ उत्तर प्रदेश सरकार का विवाद अब सुलझ गया है, राज्य सरकार पतंजलि की शर्तों के मुताबिक नियमों में संशोधन करने के लिए तैयार हो गई है। पतंजलि को अब ग्रेटर नोएडा में मैगा फूड प्रोसेसिंग पार्क लगाने के लिए 91 एकड़ जमीन दी जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद मुख्य सचिव ने इस मुद्दे पर बैठक बुलाई और बैठक में यह फैसला लिया गया है।
पतंजलि की तरफ से कहा गया है कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से दी गई सुनिश्चितता पर भरोसा करते हैं, मुख्यमंत्री ने खुद पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव से बात करके सहयोग देने का भरोसा दिया है। पतंजलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने कहा है कि वह फूड पार्क को ग्रेटर नोएडा में ही रखेंगे।
पतंजलि आयुर्वेद द्वारा उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे पर प्रस्तावित छह हजार करोड़ रुपए के मेगा फूड प्रोसेसिंग पार्क से पीछे हटने की खबरों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण से बात की और उन्हें विश्वास दिलाया था कि प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी कर ली जाएगी और जो भी तकनीकी समस्या है उसे दूर कर लिया जाएगा। प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आचार्य बालकृष्ण से बात की और उनकी परेशानियों को जाना। कोई आवंटन रद्द नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से इस मामले को शीघ्र निस्तारित करने को कहा है।
गौरतलब है कि कल शाम पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि हम इस परियोजना को रद्द कर रहे हैं क्योंकि हमें यूपी सरकार से आवश्यक मंजूरी नहीं मिली है। उन्होंने विस्तार से जानकारी दिए बिना कहा कि कंपनी अब परियोजना को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है।
राज्य से बाहर निकलने के कारण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हमें इस परियोजना के लिए राज्य सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला। हमने मंजूरी के लिए लंबे समय तक इंतजार किया, लेकिन राज्य सरकार हमें अनुमति नहीं मिली। अब हमने परियोजना को स्थानांतरित करने का फैसला किया है।
बालकृष्ण ने दावा किया कि पतंजलि ने इस परियोजना के लिए वित्तीय संस्थानों से समर्थन प्राप्त कर लिया था। उन्होंने कहा कि हमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से दो बार समय विस्तार प्राप्त हुआ और अब यह समय समाप्त हो रहा है क्योंकि हमें राज्य सरकार से आवश्यक मंजूरी नहीं मिल सकी।
मेगा फूड पार्क को 30 महीने के भीतर अमल में लाए जाने की आवश्यकता है और इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इससे पहले, पतंजलि ने कहा था कि यमुना एक्सप्रेसवे आधारित यह संयंत्र पूरी क्षमता के साथ संचालित होने पर सालाना 25,000 करोड़ रुपए के सामान का उत्पादन करेगा। इससे 10,000 प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी।
पतंजलि वर्तमान में नागपुर (मध्य प्रदेश) और तेजपुर (असम) समेत मेगा फूड पार्क परियोजनाओं में निवेश कर रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने पतंजलि को परियोजना की मंजूरी के लिए 30 जून तक का समय दिया था।