नई दिल्ली। येस बैंक के सह-संस्थापक सितंबर, 2018 में कहा था, “मैं येस बैंक के अपने प्रमोटर शेयर अपनी तीनों बेटियों और उसके बाद उनके बच्चों के नाम करूंगा, मैं अपनी वसीयत में यह शर्त जोड़ूगां कि एक भी शेयर को बेचा नहीं जाएगा, क्योंकि हीरा सदा के लिए होते हैं।” राणा कपूर के ये शब्द 17 महीने के भीतर ही वास्तविकता से कहीं दूर हो गए, जब सरकार ने येस बैंक पर 30 दिनों का प्रतिबंध लगाया और आरबीआई ने बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया।
Yes Bank पर प्रतिबंध लगने तक की पूरी कहानी जानिए यहां:
12 मई, 2017: आरबीआई द्वारा येस बैंक का ऑडिट किया गया है, जिसमें पाया गया कि 2015-16 में 42 अरब रुपए के एनपीए को छुपाया गया। बैंक ने केवल 7.49 अरब रुपए का एनपीए दिखाया था।
24 अक्टूबर 2017: आरबीआई ने इनकम रिकॉग्निशन असेट क्लासीफिकेशन नियमों का उल्लंघन करने पर बैंक पर 6 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया।
26 अक्टूबर 2017: 2016-17 की ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि बैंक ने 63.55 अरब रुपए के एनपीए को छुपाया है।
19 सितंबर, 2018: तीन साल का कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले आरबीआई ने अगले तीन साल तक दोबारा कपूर को सीईओ बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और उन्हें 31 जनवरी, 2019 तक पद पर बने रहने की अनुमति दी।
1 अक्टूबर, 2018: बैंक ने कपूर के उत्तराधिकारी की खोज के लिए एक सर्च-एंड-सिलेक्शन कमेटी का गठन किया।
19 नवंबर, 2018: एक सप्ताह के भीतर 3 बोर्ड सदस्यों ने इस्तीफा दिया। स्वतंत्र निदेशक चंद्रशेखर इस्तीफा देने वाले तीसरे सदस्य थे।
27 नवंबर, 2018: मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने येस बैंक की रेटिंग घटाई। इसका कारण बोर्ड सदस्यों के इस्तीफे और कॉरपोरेट गवर्नेंस मुद्दों को बताया।
24 जनवरी, 2019: आरबीआई ने रवनीत सिंह गिल को बैंक का नया एमडी और सीईओ नियुक्त करने को अपनी मंजूरी दी।
31 जनवरी, 2019: कपूर ने पदभार छोड़ा और अजय कुमार ने अंतरिम प्रबंध निदेशक और गिल ने सीईओ की जिम्मेदारी संभाली।
13 फरवरी, 2019: येस बैंक ने घोषणा की वित्त वर्ष 2017-18 में आरबीआई ने एनपीए की घोषणा में कोई गड़बड़ी नहीं पाई।
16 फरवरी, 2019: गोपनीय ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी सार्वजनिक करने पर आरबीआई ने येस बैंक की लताड़ लगाई।
20 फरवरी, 2019: मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने येस बैंक की स्थिर वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर रेटिंग को निगेटिव से स्टेबल में अपग्रेड किया।
28 फरवरी, 2019: रवनीत गिल ने मैनेजिंग डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली।
26 अप्रैल, 2019: जनवरी-मार्च तिमाही में एनपीए के लिए अधिक प्रावधान करने की वजह से येस बैंक को 15.1 अरब रुपए का नुकसान हुआ।
4-10 मई, 2019: केयर रेटिंग, ब्रिकवर्क रेटिंग और इंडिया रेटिंग ने येस बैंक की रेटिंग को घटाया।
15 मई, 2019: आरबीआई ने पूर्व डिप्टी गवर्नर आर. गांधी को दो साल के येस बैंक का अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया।
16 अगस्त, 2019: येस बैंक ने 83.55 रुपए प्रति शेयर के भाव पर क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के जरिये 19.30 अरब रुपए जुटाये।
28 अगस्त, 2019: अनुमान से कम पूंजी जुटाने पर मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने येस बैंक की रेटिंग फिर घटाई।
1 अक्टूबर, 2019: रिलायंस निप्पन लाइफ असेट मैनेजमेंट ने येस बैंक के प्रवर्तन राणा कपूर की ग्रुप कंपनी मोर्गन क्रेडिट्स एंड येस कैपिटल द्वारा गिरवी रखे शेयरों को बेचा।
3 अक्टूबर, 2019: येस बैंक ग्रुप के अध्यक्ष रजत मोंगा ने बैंक छोड़ने की घोषणा की।
31 अक्टूबर, 2019: येस बैंक ने कहा कि उसे ग्लोबल इनवेस्टर्स से 1.2 अरब डॉलर के निवेश के लिए प्रस्ताव मिले हैं।
30 नवंबर, 2019: येस बैंक बोर्ड ने पूंजी जुटाने की सीमा को बढ़ाकर 2 अरब डॉलर को मंजूरी दी।
10 दिसंबर, 2019: येस बैंक ने कहा कि इरविन सिंह ब्रैच और एसपीजीपी होल्डिंग्स के संयुक्त 1.2 अरब डॉलर के निवेश प्रस्ताव पर बैंक विचार कर रहा है।
10 जनवरी, 2020: उत्तम अग्रवाल ने प्रशासकीय मुद्दों के कारण स्वतंत्र निदेशक के पद से इस्तीफा दिया।
10 जनवरी, 2020: येस बैंक ने इरविन सिंह ब्रैच और एसपीजीपी होल्डिंग्स के निवेश प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार किया।
12 फरवरी, 2020: येस बैंक ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के वित्तीय नजीतों की घोषणा को टाला।
5 मार्च, 2020: आरबीआई के आग्रह पर सरकार ने येस बैंक पर 30 दिनों के लिए प्रतिबंध लगाया। केंद्रीय बैंक ने येस बैंक के बोर्ड को भंग किया और एक प्रशासक को नियुक्त किया।
5 मार्च, 2020: भारतीय स्टेट बैंक के बोर्ड ने येस बैंक में एसबीआई के निवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी।
6 मार्च, 2020: आरबीआई ने येस बैंक को दोबारा खड़ा करने के लिए पुनर्गठन योजना की घोषणा की।
8 मार्च, 2020: सह-संस्थापक राणा कपूर को ईडी ने गिरफ्तार किया और पत्नी व बेटियों से भी पूछताछ की।
9 मार्च, 2020: सीबीआई ने भी मामला दर्ज किया और राणा कपूर के कई ठिकानों पर छापेमारी की।