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वक्त आ गया है कि राजकोषीय नीति का पुनर्आकलन हो: जेटली ने जी20 सम्मेलन में कहा

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए ग्लोबल स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले पर जोर दिया। ठोस नीति को बताया जरूरी।

Dharmender Chaudhary
Updated on: April 15, 2016 12:32 IST
जेटली बोले- वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए ठोस नीति की जरूरत, सार्वजनिक निवेश पर हो जोर- India TV Paisa
जेटली बोले- वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए ठोस नीति की जरूरत, सार्वजनिक निवेश पर हो जोर

वाशिंगटन। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए ग्लोबल स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि राजकोषीय नीति का पुनर्आकलन होना चाहिए। जेटली ने जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की वैश्विक अर्थव्यवस्था और मजबूत, सतत और संतुलित वृद्धि के ढांचे पर आयोजित बैठक में कहा, हमारा मानना है कि मौद्रिक नीति के उपाय अपनी सीमा पर पहुंच गए हैं। इसका फायदा बराबर तरीके से नहीं पहुंचा है। अब राजकोषीय नीति के पुर्नआकलन का सही समय है जिसमें सार्वजनिक निवेश पर ज्यादा ध्यान हो।

जेटली ने कहा कि वैश्विक सुधार की नाजुक प्रक्रिया के सामने जो जोखिम हैं उनमें कमजोर मांग, संकुचित वित्त बाजार में, व्यापार में नरमी और उतार-चढ़ाव वाला पूंजी प्रवाह शामिल है। मंत्री ने कहा, भारत ने हमेशा वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के उपाय के तौर पर वैश्विक स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले की जरूरत पर बल दिया है। जेटली ने कहा, हम चीन सरकार द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था के पुनर्संतुलन की कोशिश और विशेष तौर पर विभिन्न क्षेत्रों में अतिरिक्त क्षमता कम करने के प्रयास की सराहना करते हैं। इससे अन्य देशों में विनिर्माण गतिविधि के लिए आवश्यक गुंजाइश पैदा होगी।

उन्होंने कहा कि सभी जी-20 देशों में 2015 के दौरान आयात-निर्यात में गिरावट दर्ज हुई। साथ ही उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापार के प्रेरक तत्व को बहाल करने के लिए प्रभावी और ठोस नीतिगत प्रतिक्रिया तैयार करने की जरूरत है। जेटली ने कहा, विभिन्न देशों को व्यापार संरक्षणवादी पहलों से दूर रहने और प्रतिस्पर्धात्मक अवमूल्यन से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हमें वैश्विक वित्तीय सुरक्षा दायरे में असमानता पर भी ध्यान देना होगा। जेटली ने कहा, विकसित देशों के पास मुद्रा संबंधी झटकों से निपटने के लिए अदला-बदली की गुंजाइश है, उभरते बाजार जो उधारी और अंतरराष्ट्रीय हस्तांतरण दोनों के लिए मुद्रा भंडार पर बेहद निर्भर हैं, के पास ऐसे उपाय नहीं हैं।

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