नई दिल्ली। वित्तीय सेवा कंपनी नोमूरा का अनुमान है कि भारत में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अगले तीन माह तक और बढ़ेगी। वर्ष 2017 में थोक महंगाई की औसत दर 4.4 प्रतिशत के आसपास रहेगी। वर्ष 2016 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति औसतन 2 प्रतिशत थी।
जनवरी में थोक मुद्रास्फीति बढ़ कर 5.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि दिसंबर में यह 3.4 प्रतिशत थी। यह उछाल उस समय दिख रहा है, जबकि बाजार नोटबंदी से प्रभावित था।
- नोमूरा की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में यह बढ़ोतरी कोई मांग जनित नहीं है, बल्कि मुख्यत: जिंसों के दामों में बढ़ोतरी का नतीजा है।
- साथ ही इससे कंपनियों के लाभ के मार्जिन पर दबाव का भी संकेत मिलता है।
- इसके मांग जनित न होने का कारण यह बताया गया है कि जनवरी में लकड़ी, चमड़ा, गैर धात्विक सामान, मशीनरी और मशीन टूल और ट्रांसपोर्ट उपकरणों के दामों में गिरावट दर्ज की गई।
- नोमूरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि थोक मुद्रास्फीति अभी तीन महीने चढ़ाई पर होगी और उसके बाद इसका ढलान आएगा।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 में डब्ल्यूपीआई औसतन 4.4 प्रतिशत रहेगी, जो 2016 के 2 प्रतिशत के औसत से काफी ऊंचा है।