नई दिल्ली। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मई में घटकर पिछले पांच माह के निचले स्तर 2.17 प्रतिशत पर आ गई। मुख्यतौर पर सब्जियों के दाम घटने से मुद्रास्फीति में यह गिरावट आई है। इससे पहले दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति 2.10 प्रतिशत रही थी। एक माह पहले अप्रैल में यह 3.85 प्रतिशत पर और एक साल पहले मई में यह शून्य से नीचे 0.9 प्रतिशत पर रही थी। यह भी पढ़े: WPI और IIP का आधार वर्ष बदलकर किया गया 2011-12, महंगाई और उत्पादन के नए आंकड़े हुए जारी
महंगाई दर में गिरावट
रिटेल महंगाई के बाद थोक महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है। मई में थोक महंगाई दर में करीब 1.5 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। मई में डब्ल्यूपीआई यानि थोक महंगाई दर घटकर 2.17 फीसदी रही है। वहीं अप्रैल में थोक महंगाई दर 3.85 फीसदी रही थी।
आंकड़ों पर एक नजर
मई महीने में थोक महंगाई दर दिसंबर 2016 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर रही है। वहीं खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर अगस्त 2015 के बाद पहली बार निगेटिव रही है। महीने दर महीने आधार पर मई में कोर डब्ल्यूपीआई 2 फीसदी के मुकाबले 2.1 फीसदी रही है।यह भी पढ़े: Ducati ने लॉन्च की 2 सुपरबाइक मल्टीस्ट्रैडा 950 और मॉन्सटर 797, जानिए कीमत और फीचर्स
मई में प्राइमरी ऑर्टिकल्स की थोक महंगाई दर -1.79 फीसदी रही है जो अप्रैल में 1.82 फीसदी रही थी। मई में शुगर की थोक महंगाई दर 12.83 फीसदी रही है जो अप्रैल में 13.22 फीसदी रही थी। महीने दर महीने आधार पर मई में खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर 1.16 फीसदी से घटकर -2.27 फीसदी रही है। वहीं मई में मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर अप्रैल के 2.66 फीसदी से घटकर 2.55 फीसदी रही है। मई महीने में नान-फूड ऑर्टिकल्स की थोक महंगाई दर अप्रैल के -0.16 फीसदी के मुकाबले -0.91 फीसदी रही है जबकि महीने दर महीने आधार पर मई में सब्जियों की थोक महंगाई दर -7.79 फीसदी से घटकर -18.51 फीसदी रही है। मई में बिजली, ईंधन की थोक महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। मई में बिजली, ईंधन की थोक महंगाई दर अप्रैल के 18.5 फीसदी से गिरकर 11.69 फीसदी रही है।
नए आधार वर्ष पर आधारित है आंकड़े
थोक मूल्य सूचकांक के ये आंकड़े 2011-12 आधार वर्ष पर आधारित हैं। इन आंकड़ों को पिछले महीने ही नए आधार वर्ष के अनुरूप किया गया है। इससे पहले आधार वर्ष 2004-05 था। अर्थव्यवस्था की स्थिति को अधिक बेहतर तरीके से सामने रखने के लिये आधार वर्ष में बदलाव किया जाता है।