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Power Shortage: दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी फि‍र शुरू करेगी भारत में न्‍यूक्लियर पावर प्रोग्राम, बिजली की कमी हो सकती है दूर

दुनिया की सबसे बड़ी बिजली कंपनी ईडीएफ द्वारा छह न्‍यूक्लियर प्‍लांट्स का समझौता करने के बाद भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम फि‍र शुरू होगा।

Dharmender Chaudhary
Updated : January 31, 2016 8:02 IST
Power Shortage: दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी फि‍र शुरू करेगी भारत में न्‍यूक्लियर पावर प्रोग्राम, बिजली की कमी हो सकती है दूर
Power Shortage: दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी फि‍र शुरू करेगी भारत में न्‍यूक्लियर पावर प्रोग्राम, बिजली की कमी हो सकती है दूर

नई दिल्‍ली। दुनिया की सबसे बड़ी बिजली कंपनी इलेक्ट्रिक डे फ्रांस (ईडीएफ) द्वारा छह न्‍यूक्लियर प्‍लांट्स का समझौता करने के बाद भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के पुन: शुरू होने की संभावना भी जागी है। 26 जनवरी को ईडीएफ ने घोषणा की थी कि उसने न्‍यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) के साथ 6 न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर्स की स्‍थापना के लिए एमओयू साइन किया है। यह परमाणु पावर प्‍लांट महाराष्‍ट्र के जैतापुर में लगाया जाएगा। इस समझौते पर फ्रांस के राष्‍ट्रपति फ्रांस्‍वा ओलांद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हुआ है।

ईडीएफ यह प्रोजेक्‍ट अरेवा से टेक ओवर करेगी। अरेवा ने यह कॉन्‍ट्रैक्‍ट 2009 में हासिल किया था। ईडीएफ, इसमें 84 फीसदी हिस्‍सेदारी फ्रांस सरकार की है, ने जुलाई 2015 में अरेवा में नियंत्रण हिस्‍सेदारी हासिल करने के बाद इस प्रोजेक्‍ट को अपने हाथ में लिया है। अरेवा, इसमें भी फ्रांस सरकार की बड़ी हिस्‍सेदारी है, इस प्रोजेक्‍ट को शुरू नहीं कर पाई, क्‍योंकि एनपीसीआईएल के साथ प्रोजेक्‍ट कॉस्‍ट को लेकर कुछ विवाद था और स्‍थानीय लोगों भी इस प्रोजेक्‍ट का विरोध कर रहे हैं। जैतापुर भूकंप की दृष्टि से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है, इसलिए पर्यावरणविद इससे भारी नुकसान की आंशका जता रहे हैं।

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देश में बिजली की भारी कमी

वर्तमान में देश में बिजली की भारी कमी है और मोदी सरकार मांग और आपूर्ति की बीच के अंतर को न्‍यूक्लियर पावर से पूरा करना चाहती है। भारत में तकरीबन 60 फीसदी बिजली का उत्‍पादन कोयला आधारित पावर प्‍लांट्स से होता है, जबकि कुल बिजली उत्‍पादन में न्‍यूक्लियर पावर की भागीदारी केवल 3.5 फीसदी है। भारत में वर्तमान में 21 न्‍यूक्लियर पावर रिएक्‍टर संचालित हैं, जिनकी कुल स्‍थापित क्षमता 5,780 मेगावाट है। जैतापुर प्रोजेक्‍ट को परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है।

दुनिया की सबसे बड़ी न्‍यूक्लियर साइट

जैतापुर प्रोजेक्‍ट को दुनिया का सबसे बड़ा न्‍यूक्लियर कॉन्‍ट्रैक्‍ट माना जा रहा है और यह दुनिया की सबसे बड़ी न्‍यूक्लियर साइट भी है। 10,000 मेगावाट्स के इस प्रोजेक्‍ट में छह रिएक्‍टर्स होंगे, जिनमें प्रत्‍येक की क्षमता 1650 मेगावाट होगी। भारत सरकार ने 2017 तक 17,400 मेगावाट न्‍यूक्लिर पावर जनरेशन का लक्ष्‍य रखा था, जिसमें से वह केवल 30 फीसदी लक्ष्‍य ही हासिल कर पाई है।

विदेशी कंपनियां नहीं दिखा रही हैं रुचि

भारत में न्‍यूक्लियर एनर्जी की धीमी रफ्तार की मुख्‍य वजह विदेशी रिएक्‍टर निर्माता कंपनियों की कम रुचि है। यह कंपनियां उस कानून का विरोध कर रही हैं, जो किसी दुर्घटना के समय मैन्‍यूफैक्‍चरर्स को जिम्‍मेदार ठहराता है। सितंबर 2015 में जनरल इलेक्ट्रिक ने लायबिलटी कानून की अनिश्‍चितता के चलते भारत के न्‍यूक्लियर एनर्जी सेक्‍टर में निवेश न करने का फैसला लिया। जनरल इलेक्ट्रिक के सीईओ जेफ इमेल्‍ट ने कहा था कि दुनिया में एक स्‍थापित एक लायबिलटी व्‍यवस्‍था है, इसे स्‍वीकार्यता मिली है और इसे अपनाया गया है। मैं अपनी कंपनी को जोखिम में नहीं डाल सकता। भारत लायबिलटी पर दोबारा नयिम नहीं बना सकता।

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ईडीएफ के सामने भी हैं सवाल

ओलांद और मोदी ने अपने संयुक्‍त भाषण में कहा था कि दोनों देश टेक्‍नो कमर्शियल मुद्दों पर बातचीत 2016 के अंत तक पूरा कर लेंगे और 2017 के शुरुआत में इस प्‍लांट पर ऑपरेशन शुरू हो जाएगा। लेकिन अभी तक यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि कंपनी लायबिलटी कानून का पालन करने के लिए क्‍या कदम उठाएगी।

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