नई दिल्ली। दुनिया की सबसे महंगी सब्जी की कीमत 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। दुनिया की सबसे महंगी इस सब्जी का उत्पादन परीक्षण के तौर पर बिहार के औरंगाबाद जिले में किया जा रहा है। इस सब्जी का नाम है हॉप-शूट्स (hop-shoots)। हॉप-शूट्स की खोज 11वीं शताब्दी में की गई थी और तब इसका उपयोग बीयर में फ्लेवरिंग एजेंट के तौर पर किया जाता था। इसके बाद इसका उपयोग हर्बल मेडिसिन और धीरे-धीरे सब्जी के रूप में होने लगा। शूट्स में एक एसिड पाया जाता है, जिसका नाम ह्यूमोलोन्स (humulones) और ल्यूपोलोन्स (lupulones) है। ऐसा माना जाता है कि ये एसिड मानव शरीर में कैंसर सेल्स को मारने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। अपने इस गुण की वजह से ये दुनिया की सबसे महंगी सब्जी है।
बिहार के औरंगाबाद जिले के नवीनगर ब्लॉक के तहत आने वाले करमडीह गांव के 38 वर्षीय किसान अमरेश सिंह भारत के पहले ऐसे किसान हैं, जो हॉप-शूट्स की खेती कर रहे हैं। छह साल पहले उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक किलोग्राम हॉप-शूट्स को 1000 पौंड में बेचा था, जो भारतीय रुपये में लगभग एक लाख रुपये बनता है। यह सब्जी भारतीय बाजार में बहुत मुश्किल से मिलती है और इसे केवल स्पेशल ऑर्डर पर ही खरीदा जा सकता है।
अमरेश सिंह का कहना है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हॉप-शूट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम उठाते हैं तो इससे किसानों की आय कुछ ही समय में 10 गुना बढ़ सकती है। वर्तमान में हॉप-शूट्स की खेती वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डा. लाल की देखरेख में की जा रही है।
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अमरेश ने बताया कि उन्होंने दो महीने पहले ही वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान से इस सब्जी के बीज लाकर अपने खेत में लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पूरी उम्मीद है कि उनकी मेहनत सफल होगी और इससे बिहार में खेती में बड़ा बदलाव भी आएगा।
हॉप-शूट्स के फल, फुल और तने सभी का उपयोग पेय पदार्थ बनाने, बीयर बनाने और एंटीबायोटिक्स जैसी दवाईयों को बनाने में किया जाता है। इस सब्जी के तने से बनने वाली दवाई का उपयोग टीबी के उपचार में भी किया जाता है।
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एक हर्ब के रूप में हॉप-शूट्स का उपयोग यूरोपियन देशों में बहुत लोकप्रिय है। यहां इसका उपयोग त्वचा को चमकदार और युवा बनाए रखने के लिए किया जाता है। इस सब्जी में एंटीऑक्सीडेंट प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। हॉप-शूट्स से बनी दवाई पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और डिप्रेशन एवं एनजाइटी में आराम पहुंचाती है।
हॉप-शूट्स की खेती ब्रिटेन, जर्मनी और अन्य यूरोपियन देशों में बड़े स्तर पर की जाती है। भारत में, इसकी खेती सबसे पहले हिमाचल प्रदेश में शुरू की गई लेकिन इसकी बहुत अधिक कीमत की वजह से बाजार उपलब्ध न होने के कारण इसे बंद कर दिया गया।
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अमरेश हॉप-शूट्स के अलावा अन्य कई मेडिसनल और एरोमैटिक प्लांट्स की खेती करते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में, आत्मविश्वास के साथ जोखिम लेना हमेशा से ही किसानों के हित में रहा है। मैंने बिहार में हॉप-शूट्स की खेती के साथ प्रयोग करने का जोखिम उठाया है और मुझे पूरा भरोसा है कि इससे एक नया इतिहास रचेगा।
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