वॉशिंगटन। वर्ल्ड बैंक ने भारत द्वारा स्थापित किए जाने वाले नए रेल डेवलपमेंट फंड में एंकर निवेशक बनने की अपनी सहमति दे दी है। इस फंड का उपयोग भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के लिए पूंजी आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया जाएगा। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद बताया कि रेल डेवलपमेंट फंड बनाने के लिए वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया गया है और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
प्रभु ने कहा कि वर्ल्ड बैंक अन्य सह-निवेशकों के साथ इस नए फंड का एंकर निवेशक होगा। उन्होंने कहा, इस फंड को जल्दी ही पेश करेंगे, क्योंकि वर्ल्ड बैंक के नेतृत्व में सर्वसम्मति है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ल्ड बैंक के नेतृत्व ने पिछले एक साल के प्रदर्शन के आधार पर महसूस किया कि भारतीय रेल सही दिशा में है। प्रभु ने हालांकि फंड के आकार का ब्योरा नहीं दिया लेकिन संकेत दिया कि वह भारतीय रेल को वर्ल्ड बैंक की ओर से प्रदत्त सबसे बड़ा फंड है।
प्रभु ने कहा कि मौद्रीकरण की समस्या से निपटने के लिए विश्व की बेहतरीन प्रणाली मुहैया की जा रही है। वैश्विक स्तर पर रेलवे को 30-40 फीसदी आय गैर-रेलवे परिचालनों से होती है। भारत में यह दो फीसदी भी नहीं है। इस बीच सातवें वेतन आयोग का अतिरिक्त बोझ भारतीय रेल के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। अमेरिका के परिवहन मंत्री के साथ बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने परिवहन क्षेत्र के संबंध में परिवहन विभाग के साथ एक समझौता करने का फैसला भी किया। प्रभु ने यह भी बताया कि अमेरिका के परिवहन मंत्री ने सुरक्षा के लिए नियामकीय ढांचा तैयार करने पर सहमति जताई है, जो भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। सरकार भारतीय रेल की सुरक्ष बढ़ाना चाहती है। निवेशकों और बुनियादी ढांचा कंपनियों के एक समूह के साथ बातचीत के दौरान प्रभु ने उनसे भारतीय रेल में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया।