इस्लामाबाद: विश्वबैंक ने पाकिस्तान को 1.336 अरब डॉलर का ऋण प्रदान करने के लिए करार किया है। इस ऋण से नकदी संकट से जूझ रहे देश के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत किया जा सकेगा और साथ ही सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में भी मदद की जा सकेगी। ‘द डॉन’ अखबार के अनुसार 1.336 अरब डॉलर के ऋण के कुल छह परियोजना समझौतों पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए गए। इसमें 12.8 करोड़ डॉलर का अनुदान भी शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कर्ज से पाकिस्तान सरकार को सामाजिक संरक्षण, आपदा और जलवायु जोखिम प्रबंधन, बुनियादी ढांचे में सुधार, कृषि, खाद्य सुरक्षा, मानव पूंजी विकास और संचालन के क्षेत्रों में मदद मिलेगी। करार पर आर्थिक मामलों के मंत्रालय के सचिव नूर अहमद ने पाकिस्तान सरकार की ओर से हस्ताक्षर किए। वहीं सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की प्रांतीय सरकारों के प्रतिनिधियों ने संबंधित करारों पर ऑनलाइन हस्ताक्षर किए। विश्वबैंक के कंट्री निदेशक नाजी नेहासिन ने संगठन की ओर से करार पर हस्ताक्षर किए।
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इसके अलावा मांग के मुकाबले उत्पादन में कमी की वजह से पाकिस्तान अपनी जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर हो गया है। पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के द्वारा जारी आंकड़ों की माने तो साल 2020-21 के पहले 8 महीने में पाकिस्तान का आयात बिल 50.29 प्रतिशत बढ़कर 534 करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। पाकिस्तान का वित्त वर्ष जुलाई से जून तक चलता है।
खाद्य सुरक्षा के लिए आयात पर निर्भर पाकिस्तान
आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के कुल आयात बिल में खाद्य उत्पादों का हिस्सा बढ़कर 15.76 प्रतिशत हो गया है जो कि एक साल पहले 11.29 प्रतिशत के स्तर पर था। आठ महीने में पाकिस्तान का कुल आयात बिल पिछले साल के मुकाबले 7.67 प्रतिशत बढ़कर 33.89 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक ये आंकड़े साफ करते हैं कि पाकिस्तान के खाद्य उत्पादन में जबरदस्त कमी आई है, औऱ खाद्य सुरक्षा के लिए आयात पर निर्भरता हो गई है।
गेहूं चीनी का आयात कर रही पाकिस्तानी सरकार
पाकिस्तान ने बीते 8 महीने में 33 लाख टन गेहूं का आयात किया है, जिसका बिल 91 करोड़ डॉलर है। खास बात ये ही कि बीते साल की इसी अवधि में गेहूं का कोई आयात नहीं किया गया था। वहीं चीनी का आयात बीते साल के मुकाबले 6000 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त रही है। इस दौरान पाकिस्तान ने 2.78 लाख टन चीनी का आयात किया। पाकिस्तान सरकार के मुताबिक गेहूं और चीनी का बफर स्टॉक बनाने के लिए इनका आगे भी आयात जारी रहेगा। आंकड़ों के मुताबिक पाम तेल, चाय, घी, दाल, मेवे, दुग्ध उत्पादों के आयात में भी इस दौरान तेज बढ़त देखने को मिलेगी।
कैसी है भारत की स्थिति
भारत सरकार के मुताबिक इस साल चीनी का उत्पादन 3 करोड़ टन से ज्यादा रहेगा। देश में चीनी की खपत करीब 2.5 करोड़ टन है। वहीं देश के पास 60 लाख टन से ज्यादा चीनी सरप्लस है। वहीं करीब इतना ही एक्सपोर्ट का कोटा रखा गया है। यानि कुल खर्च और एक्सपोर्ट के बाद भी देश में करीब 60 लाख टन सरप्लस चीनी बचेगी। वहीं विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल देश में रिकॉर्ड 10.8 से 11.5 करोड़ टन के बीच गेहूं का उत्पादन हो सकता है। वहीं साल 2020 में देश में गेहूं की कुल खपत 10 करोड़ टन से कम ही रही थी।