वॉशिंगटन। महंगे पेट्रोल-डीजल से भारतीयों को अभी राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2018 में कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और कोयला जैसे ईंधन की कीमतों में 20 प्रतिशत तक इजाफा होने की उम्मीद है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत जैसे देशों पर इन जिंसों की कीमतें बढ़ने का विपरीत प्रभाव पड़ेगा क्योंकि ये इन वस्तुओं के भारी आयात पर निर्भर हैं।
विश्व बैंक ने कल अप्रैल कमोडिटी बाजार परिदृश्य जारी किया। ईंधन की कीमतों में वृद्धि का उसका ताजा अनुमान अक्टूबर में जारी पिछले अनुमानों से 16 प्रतिशत अधिक है।
विश्व बैंक ने कहा कि उपभोक्ताओं की मजबूत मांग और तेल उत्पादकों द्वारा उत्पादन में कटौती से 2018 में कच्चे तेल की कीमतें औसतन 65 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है, जो कि 2017 के 53 डॉलर प्रति बैरल से अधिक है। धातु की कीमतें इस वर्ष 9 प्रतिशत अधिक रहने की उम्मीद जताई गई है।
इसी तरह, बुवाई का रकबा कम रहने से खाद्य जिंसों और कच्चे माल समेत कृषि वस्तुओं की कीमतों में दो प्रतिशत से अधिक की तेजी रहने की उम्मीद है। विश्व बैंक के कार्यवाहक मुख्य अर्थशास्त्री एस देवराजन ने कहा कि वैश्विक वृद्धि और मांग में तेजी अधिकांश वस्तुओं की कीमतें बढ़ने और उससे पहले के पूर्वानुमान के पीछे का महत्वपूर्ण कारक है।
विश्वबैंक ने कच्चे तेल की कीमतें 2019 में औसतन 65 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान जताया है। हालांकि अप्रैल 2018 के बाद तेल की कीमतों में नरमी आने का अनुमान है।