नई दिल्ली। बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेकर मनमर्जी से कंगाल यानि विलफुल डिफॉल्टर्स होने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। शायद यही वजह है कि वित्तवर्ष 2015-16 के मुकाबले मार्च में खत्म हुए वित्तवर्ष 2016-17 के दौरान विलफुल डिफॉल्टर्स को दिए गए कर्ज में करीब 45% का इजाफा हुआ है और यह कर्ज 1 लाख करोड़ रुपए को पार कर चुका है।
क्रेडिट सूचना ब्यूरो ट्रांसयूनियन सिबिल के आंकड़ों के मुताबिक इस साल मार्च अंत तक विलफुल डिफॉल्टर्स को दिया गया कर्ज 1,09,594 करोड़ रुपए दर्ज किया गया है जबकि पिछले साल मार्च अंत तक यह रकम 74,694 करोड़ रुपए थी। यानि सालभर के दौरान इसमें करीब 34900 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 सालों से विलफुल डिफॉल्टर्स की रकम में 84,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मनमर्जी से हुए कंगालों ने सबसे ज्यादा पैसा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लिया है, SBI के 997 एकाउंट्स विलफुल डिफॉल्ट्स घोषित हो चुके हैं और उन्होंने 15069 करोड़ रुपए कर्ज लिया हुआ है। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक का नंबर है जिसके 871 खाते कंगाल घोषित हो चुके हैं और उन्होंने 10,989 करोड़ रुपए कर्ज उठाया हुआ है। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ोदा है जिसका 4785 करोड़ रुपया ऐसे कंगालों के पास है।