नई दिल्ली। सार्वजनिक बैंकों का कहना है कि जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वालों कर्जदारों (विलफुल डिफॉल्टरों) पर उनके बकाया कर्ज में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह इस साल मार्च के आखिर में कुल बकाया कर्ज बढ़कर 92,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। ऐसे विलफुल डिफॉल्टरों का बकाया ऋण वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में बढ़कर 92,376 करोड़ रुपए हो गया जो कि 20.4 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी दिखाता है। यह कर्ज मार्च 2016 के आखिर में 76,685 करोड़ रुपए था। इसके साथ ही सालाना आधार पर ऐसे विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत बढोतरी दर्ज की गई।
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वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या मार्च के आखिर में 8,915 हो गई जो पिछले वित्त वर्ष में 8,167 रही थी। बैंकों ने जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने के 8,915 मामलों में से 32,484 करोड़ रुपए के बकाया कर्ज वाले 1,914 मामलों में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करवाई है।
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वित्त वर्ष 2016-17 में एसबीआई व इसके पांच सहयोगी बैंकों सहित 27 सार्वजनिक बैंकों ने 81,683 करोड़ रुपए को बट्टे खाते में डाला। यह बीते पांच साल में सबसे बड़ी राशि है। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में यह राशि 41 प्रतिशत अधिक है।