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मोदी सरकार ने लागूू किया सख्‍त दिवाला कानून, अब कर्ज में फंसी संपत्ति की नीलामी में बोली नहीं लगा सकेंगे उसके प्रवर्तक

दिवाला कानून के तहत ऋण शोधन प्रक्रिया में आई कंपनियों को झटका लगा है। वह ऐसी संपत्तियों को हासिल करने के लिये बोली प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेंगे।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: November 23, 2017 20:32 IST
मोदी सरकार ने लागूू किया सख्‍त दिवाला कानून, अब कर्ज में फंसी संपत्ति की नीलामी में बोली नहीं लगा सकेंगे उसके प्रवर्तक- India TV Paisa
मोदी सरकार ने लागूू किया सख्‍त दिवाला कानून, अब कर्ज में फंसी संपत्ति की नीलामी में बोली नहीं लगा सकेंगे उसके प्रवर्तक

नयी दिल्ली। दिवाला कानून के तहत ऋण शोधन प्रक्रिया में आई कंपनियों के प्रवर्तकों को झटका लगा है। वह ऐसी संपत्तियों को हासिल करने के लिये बोली प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेंगे। सरकार ने कानून में संशोधन करते हुये अध्यादेश जारी किया है जिसमें जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाले तथा जिनके खातों को फंसे कर्ज (एनपीए) की श्रेणी में डाला गया है, उन्हें ऐसी संपत्तियों की नीलामी में बोली लगाने से रोकने का प्रावधान किया गया है।

कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अध्यादेश लाने का मकसद गलत इरादा रखने वाले लोगों को ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों का उल्लंघन करने से रोकने के लिये एहतियाती उपाय करना है। कानून में किया गया ताजा संशोधन उन मामलों में भी लागू होगा जहां शोधन प्रक्रिया समाधान को अभी मंजूरी मिलना बाकी है। ऋण शोधन कानून में किये गये इस संशोधन को बाद में संसद की मंजूरी की आवश्यकता है। संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होने की संभावना है। इन बदलावों का मतलब यह है कि बैंकों के कर्ज की वसूली के लिये ऋण शोधन कार्रवाई के तहत आई संपत्तियों की नीलामी में उनके प्रवर्तकों को बोली लगाने की अनुमति नहीं होगी।

रिजर्व बैंक ने इस कानून के तहत पहले चरण में 5,000 करोड़ से अधिक के बकाया वाली 12 कंपनियों के मामले को समाधान के लिये भेजा। इन कंपनियों में भूषण स्टील, एस्सार स्टील, लैंको इंफ्राटेक, मोनेट इस्पात और इलेक्ट्रोस्टील शामिल हैं। कई मामलों में देखा गया है कि शोधन प्रक्रिया के तहत बोली लगाने वालों में उन कंपनियों के मूल प्रवर्तक भी शामिल हैं। ऐसी आशंका थी कि कर्ज नहीं लौटाने वाले प्रवर्तक ऋण शोधन कार्रवाई के अंतर्गत आने वाली कंपनी को कर्ज वसूली के लिये नीलामी में फिर से अपने नियंत्रण में ले सकती हैं। इसे देखते हुए बुधवार को सरकार ने कानून में संशोधन को लेकर अध्यादेश लाने का फैसला किया। मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।

इसमें कहा गया है, ‘‘संशोधनों का उद्देश्य उन लोगों को इसके दायरे से बाहर रखना है जिन्होंने जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाया तथा फंसे कर्जों (एनपीए) से संबंधित हैं और जिन्हें नियमों का अनुपालन न करने की आदत है। इसीलिए उन्हें किसी कंपनी के दिवाला संबंधी विवाद के सफल समाधान में बाधक माना गया है।’’

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