नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्याज की कीमतों में नियंत्रण लाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने प्याज व्यापारियों पर भंडारण की सीमा तय करने का फैसला किया है। इसके तहत खुदरा विक्रेता को स्टॉक में मात्र 2 टन प्याज रखने की इजाजत होगी और वहीं थोक विक्रेता को मात्र 25 टन स्टॉक में रखने की इजाजत होगी। दरअसल, पहले 60 रुपए किलो मिलने वाली प्याज की कीमत 80 से लेकर 100 रुपए किलो तक पहुंच गई है। मुंबई में रिटेल में प्याज 100 रुपए किलो के भाव से मिल रहा है, वहीं दिल्ली में एक किलो प्याज की कीमत 70 से 80 रुपए हो गई है। कोलकाता में भी लगभग यही रेट है। चेन्नई में प्याज का खुदरा भाव 70 से लेकर 90 रुपए प्रति किलो पहुंच गया।
गुरुवार को दूसरे मेट्रो शहरों के मुकाबले चेन्नई और मुंबई में प्याज सबसे महंगा बिका। अगर पूरे देश की बात करें तो एक ही दिन में प्याज के रेट में 2 रुपये से लेकर 47 रुपये प्रति किलो तक उछाल आया है। उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, बेंगलुरु में बुधवार को 40 रुपये किलो बिकने वाला प्याज गुरुवार को 47 रुपये महंगा होकर 87 रुपये पर पहुंच गया। वहीं, दरभंगा में 40 से 62 रुपये, इंदौर में 45 से 55 रुपये पर और पटना में 10 रुपये महंगा होकर 65 रुपये कलो पहुंच गया। हालांकि, सरकार के इन आंकड़ों और गली-मोहल्लों, साप्ताहिक बाजारों में प्याज के रेट में काफी अंतर है।
इन 5 कारणों से आसमान छू रहे प्याज के दाम
बारिश ने बिगाड़ा किचन का टेस्ट
पीके गुप्ता के मुताबिक, भारत में प्याज तीन सीजन खरीफ (गर्मी), खरीफ (गर्मी के बाद) और रबी (सर्दी) में बोया जाता है। सितंबर में खरीफ प्याज की आवक शुरू हो जाती है, जबकि नवंबर के बाद की खरीफ और अप्रैल के बाद से रबी प्याज की आवक होती है। पिछले साल और इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून में भारी बारिश ने प्याज की आवक को बुरी तरह प्रभावित किया है। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में बारिश ने प्याज की फसलों को बर्बाद कर दिया, जिसकी वजह से कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है।
बीजों की भारी कमी
प्याज के कीमतों के आसमान छूने का दूसरा कारण प्याज के बीजों की भारी कमी। पीके गुप्ता ने कहा कि हमारे पास पिछले साल रबी और खरीफ की बुवाई के लिए बीजों की कमी थी और हम इस साल भी रबी की बुवाई के लिए प्याज की कमी का सामना करेंगे और फिर प्याज की कीमतों में तेजी आएगी। देश में प्याज के बीजों की कम से कम 10 फीसदी की कमी का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि, अधिकांश किसानों ने कीमतों में उछाल के बाद पिछले साल रबी के दौरान पुनः बुवाई के लिए अपनी पूरी उपज बेचने का विकल्प चुना। ऐसे में किसानों ने बढ़ती कीमतों को देखते हुए इसे बेचना उचित समझा।
बफर स्टॉक की कमी
सरकार के पास प्याज का महज 25 हजार टन का सुरक्षित भंडार (बफर स्टॉक) बचा हुआ है। यह स्टॉक नवंबर के पहले सप्ताह तक समाप्त हो जायेगा। नाफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। देश में प्याज की खुदरा कीमतें 75 रुपए किलो के पार जा चुकी हैं। ऐसे में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा कीमतों को नियंत्रित करने के लिये नाफेड सुरक्षित भंडार से प्याज बाजार में उतार रहा है। नाफेड सरकार की ओर से संकट के समय यह स्टॉक इस्तेमाल के लिये जारी करने को तैयार रहता है।
खरीफ प्याज का कम उत्पादन
खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को कहा कि भारी बारिश के कारण कई मुख्य उत्पादक राज्यों में प्याज की फसल को नुकसान हुआ है। इसके चलते देश में खरीफ प्याज का उत्पादन 14 प्रतिशत घटकर 37 लाख टन रहने का अनुमान है। इस साल महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में बारिश की वजह से प्याज का उत्पादन करीब 37 लाख टन रहने का अनुमान है। यह पहले के 43 लाख टन के अनुमान से लगभग 6 लाख टन कम है।
प्रीमियम का मामला
कमोडिटी की प्रत्याशित कमी की वजह से प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए चौथा कारण अस्थिरता प्रीमियम (premium volatility) है। अस्थिरता प्रीमियम की स्थिति में कृषि उपज विपणन समिति (APMC) के बाजारों में खुदरा कीमतें लगभग दोगुनी हो जाती हैं। कृषि अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इन उत्पादों के विकल्प की कमी होने पर कीमतें और प्रीमियम में खतरनाक वृद्धि होती है, लेकिन डॉ. गुप्ता ने प्याज की कीमतों की वृ्द्धि पर अंकुश लगाने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इसके लिए विभिन्न महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, खासकर वह मिस्र जैसे देशों से आयात को अनुमति भी दे रही है।