नई दिल्ली। सब्जियों, दालों और चीनी के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर भी जुलाई माह में तेजी से बढ़ती हुई 3.55 फीसदी पर पहुंच गई। थोक महंगाई का यह पिछले 23 माह का उच्चतम स्तर है। थोकमूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर जून में 1.62 फीसदी थी जबकि एक साल पहले जुलाई में यह शून्य से चार प्रतिशत नीचे थी।
पिछले सप्ताह जारी खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों में भी जुलाई के दौरान अच्छी वृद्धि दर्ज की गई। खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई जुलाई में 6.07 फीसदी हो गई। थोक महंगाई दर जुलाई के स्तर से पहले अगस्त 2014 में इससे ऊपर 3.74 फीसदी पर थी। जुलाई माह की महंगाई दर में सब्जियों की महंगाई का बड़ा योगदान रहा। जुलाई में सब्जियों के दाम एक साल पहले के मुकाबले 28.05 फीसदी बढ़ गए जबकि दालें 35.76 फीसदी महंगी हो गई। रोजमर्रा के इस्तेमाल की सब्जी आलू का दाम 58.78 फीसदी चढ़ गया। इस दौरान एक साल पहले जुलाई के मुकाबले चीनी 32.33 प्रतिशत महंगी हो गई। फलों के दाम 17.30 फीसदी मंहगे हो गए।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक जुलाई माह में खाद्य महंगाई दहाई अंक में पहुंचकर 11.82 फीसदी रही। इस खंड में प्याज को छोड़कर सभी उत्पादों में मुद्रास्फीति बढ़ी है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर नवंबर 2014 से मार्च 2016 तक शून्य अथवा शून्य से नीचे रही। अप्रैल 2016 से यह शून्य से ऊपर आई है और पिछले चार महीनों से लगातार बढ़ रही है। जून 2016 में यह 1.62 फीसदी पर पहुंची वहीं जुलाई में तेजी से बढ़कर 3.55 फीसदी हो गई। हालांकि, प्याज समेत कुछ उत्पादों में महंगाई दर शून्य से नीचे बनी रही। प्याज के दाम इस दौरान 36.29 फीसदी तक घट गए और पेट्रोल के दाम भी 10.30 फीसदी तक घट गए। विनिर्मित उत्पादों के मामले में जुलाई में महंगाई दर 1.83 फीसदी और चीनी के दाम की मंहगाई 32.33 फीसदी बढ़ गई।
मई की थोक महंगाई दर का आंकड़ा संशोधित कर 1.24 फीसदी कर दिया गया जबकि अस्थाई आकलन 0.79 फीसदी था। जुलाई की थोकमूल्य महंगाई दर में बढ़त के आंकड़े खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी के बाद सामने आए हैं जो कि 23 महीने के उच्चतम स्तर 6.07 प्रतिशत पर पहुंच गई और यह आरबीआई के संतोषजनक स्तर से काफी ऊपर है।
आरबीआई ने पिछले सप्ताह जारी मौद्रिक नीति में मार्च 2017 के लिए पांच प्रतिशत मुद्रास्फीति के लक्ष्य का जिक्र किया है।