नई दिल्ली। थोकमूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर सितंबर में थोड़ी बढ़ कर शून्य से 4.54 प फीसदी नीचे रही। दलहन, सब्जी और प्याज के मंहगा होने से थोक महंगाई दर में यह वृद्धि हुई है, बावजूद इसके यह लगातार 11वें महीने शून्य से नीचे है। अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर शून्य से 4.95 फीसदी नीचे और सितंबर 2014 में यह 2.38 फीसदी थी। थोक महंगाई नवंबर 2014 से शून्य से नीचे है। खाद्य उत्पाद वर्ग में थोक मुद्रास्फीति सितंबर में 0.69 फीसदी बढ़कर शून्य से नीचे 1.13 फीसदी पर रही।
आज यहां जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक एक साल पहले की तुलना में प्याज का थोक भाव 113.70 फीसदी और दलहन 38.56 फीसदी ऊंचा रहा है। सब्जियों के भाव सालाना आधार पर 9.45 फीसदी घटे हैं। अगस्त माह में सब्जियों के वर्ग में महंगाई शून्य से 21.21 फीसदी नीचे थी। ईंधन और बिजली क्षेत्र में महंगाई शून्य से 17.71 फीसदी नीचे रही, जबकि मैन्युफैक्चरिं में यह शून्य से 1.73 फीसदी नीचे रही।
अंडा, दूध और गेहूं महंगा
सितंबर में दलहन और प्याज के अलावा जो खाद्य उत्पाद महंगे हुए उनमें अंडा (2.02 फीसदी), दूध (2.16 फीसदी) और गेहूं के थोक दाम (3.34 फीसदी) बढ़े हैं। हालांकि इस दौरान आलू का भाव 57.34 फीसदी कम हुआ है।
आरबीआई पर नहीं होगा असर
रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति के फैसलों के लिए आम तौर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई की तुलना करता है। सितंबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 4.41 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि एक माह पहले ये 3.74 फीसदी थी। खुदरा महंगाई में बढ़ोत्तरी और थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई का फिलहाल आरबीआई की मौद्रिक नीति पर शायद ही असर हो। केंद्रीय बैंक ने संकेत दिया है कि वह नीतिगत दर में संशोधन के लिए कुछ और समय तक इंतजार करेगा। पिछले महीने आरबीआई ने नीतिगत दर में उम्मीद से अधिक 0.50 फीसदी की कटौती की थी। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि खुदरा महंगाई दर जनवरी 2016 के अंत तक 5.8 फीसदी पर पहुंच जाएगी।