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भारत का सबसे बड़ा फंड मैनेजर साबुन और डिटर्जेंट की बिक्री को देख करता है निवेश, समझ नहीं पाते हैं जीडीपी के आंकड़े

सबसे बड़े फंड मैनेजर के पास इसके लिए समय नहीं है। इससे भी अजीब बात आपको यह लगेगी कि टूथपेस्ट, साबुन और डिटर्जेंट के बिक्री को देखते हुए निवेश करता है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated : July 12, 2016 8:31 IST
THE REAL PICTURE: भारत का सबसे बड़ा फंड मैनेजर साबुन की बिक्री को देख करता है निवेश, समझ नहीं पाते GDP के आंकड़े
THE REAL PICTURE: भारत का सबसे बड़ा फंड मैनेजर साबुन की बिक्री को देख करता है निवेश, समझ नहीं पाते GDP के आंकड़े

नई दिल्ली। जीडीपी के आंकड़े किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति बताने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के सबसे बड़े फंड मैनेजर के पास इसके लिए समय नहीं है। इससे भी अजीब बात आपको यह लगेगी कि टूथपेस्ट, साबुन और डिटर्जेंट के बिक्री को देखते हुए निवेश करता है।

समझ नहीं आते जीडीपी के आंकड़े

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर एस नरेन ने पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू में कहा कि “मैं अर्थशास्त्री नहीं हूं, इसलिए मुझे जीडीपी के आंकड़े समझ नहीं आते हैं”। उन्होंने कहा कि टूथपेस्ट, साबुन और डिटर्जेंट के क्षेत्र में कोयला और बिजली की मांग और दोपहिया वाहनों की बिक्री के आंकड़ों का इस्तेमाल करता हूं। जीडीपी के आंकड़े को छोड़ दें, इन क्षेत्रों में भारी ग्रोथ की संभावना है। नरेन 29 अरब डॉलर (1.95 लाख करोड़ रुपए) कीमत की परिसंपत्तियों को संभालते हैं।

जीडीपी कैलकुलेट के फॉर्मूले पर संदेह

भारत के सकल घरेलू उत्पाद गणना गणना करने का तरीका जनवरी 2015 में बदला गया। इससे देश के टॉप इकनॉमिस्ट जिसमें आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम भी शामिल हैं उनको कंफ्यूज्ड कर दिया। फॉर्मूला बदलने से 2013-14 में जीडीपी 4.7 फीसदी से बढ़कर 6.9 फीसदी पहुंच गया। जीडीपी के आंकड़े की सटीकता को लेकर संदेह है। जमीन हकीकत को देखेंगे तो पता चलेगा कि सबूत जॉब ग्रोथ 7 साल के निचले स्तर पर है। वहीं, सूखे की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में खपत कई साल में सबसे कम है।

अल्टरनेटिव इंडीकेटर्स का रूख कर रहे हैं बड़े लोग

नरेन दूसरे लोग भी अल्टरनेटिव इंडीकेटर्स का रूख कर रहे हैं। उदाहरण के लिए अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डीजीपी के अनुमान के लिए दोपहिया वाहनों और कारों की बिक्री, रेल भाड़ा और ग्रामीण क्षेत्रों में कंज्यूमर गुड्स की सेल के आंकड़ों का इस्तेमाल करता है। इंटरव्यू में नरेन ने बताया कि उन्होंने ग्लोबल डेवलपमेंट्स को देखते हुए शेयर में निवेश की रणनीति बदली है। उन्होंने कहा ”अगर तेल की कीमतें बढ़ती हैं और मानसून खराब रहता है तो हम प्रो-एक्सपोर्टर्स होंगे।

Source: Quartz

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