नई दिल्ली। देश में इस साल गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के बाद सरकारी एजेंसियों की रिकॉर्ड खरीद से सरकारी स्टॉक में जो गेहूं का भंडार बढ़ा था उसमें अब कमी आना शुरू हो गई है। पिछले 5 महीने के दौरान सरकारी स्टॉक से 95 लाख टन से अधिक गेहूं निकल चुका है। अभी सरकारी स्टॉक में जितना गेहूं बचा है वह पिछले साल के मुकाबले तो अधिक है लेकिन पिछले कुछ सालों के औसत के मुकाबले काफी कम है।
फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक पहली नवंबर तक केंद्रीय पूल में कुल 238.50 लाख टन गेहूं का स्टॉक दर्ज किया गया है, पिछले साल इस दौरान 188.41 लाख टन गेहूं का स्टॉक था। 2014-15 और 2015-16 के दौरान देश में गेहूं की पैदावार कम रही थी जिस वजह से पिछल साल केंद्रीय पूल में इतना कम गेहूं रहा। लेकिन पिछले सालों के दौरान केंद्रीय पूल में गेहूं के स्टॉक पर नजर डालें तो वह इस साल के मुकाबले कही अधिक होता था। 2015 के दौरान पहली नवंबर को केंद्रीय पूल में 299.06 लाख टन, 2014 के दौरान 301.32 लाख टन, 2013 के दौरान 340.99 लाख टन और 2012 के दौरान तो 405.75 लाख टन स्टॉक होता था। लेकिन इस साल सिर्फ 238.50 लाख टन ही बचा है।
देश में इस साल करीब 984 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ है जो अबतक का रिकॉर्ड उत्पादन है, रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से सरकारी एजेंसियों ने किसानों से 308 लाख टन गेहूं की खरीद की जो सरकारी खरीद का भी रिकॉर्ड है। लेकिन रिकॉर्ड सरकारी खरीद के बावजूद सार्वजनिक वितरण प्रणाली और खुले बाजार में बेचने के लिए केंद्रीय पूल से लगातार गेहूं का उठाव हो रहा है जिस वजह से स्टॉक घटन लगा है। हालांकि नियमों के मुताबिक जितना स्टॉक होना चाहिए उसके मुकाबले अब भी काफी गेहूं केंद्रीय पूल में बचा हुआ है, लेकिन फिर भी स्टॉक औसत के मुकाबले काफी कम है जिस वजह से आगे चलकर गेहूं की कीमतों पर असर पड़ सकता है।