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Whatsapp पर अपमानजनक सामग्री के लिए ग्रुप एडमिन नहीं होगा जिम्‍मेदार, दिल्‍ली हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

एक फैसले में कहा है कि सोशल मीडिया ग्रुप पर अन्‍य लोगों द्वारा डाली जाने वाली अपमानजनक सामग्री के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

Abhishek Shrivastava
Updated on: December 21, 2016 17:40 IST
Whatsapp पर अपमानजनक सामग्री के लिए ग्रुप एडमिन नहीं होगा जिम्‍मेदार, दिल्‍ली हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला- India TV Paisa
Whatsapp पर अपमानजनक सामग्री के लिए ग्रुप एडमिन नहीं होगा जिम्‍मेदार, दिल्‍ली हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

नई दिल्‍ली। सोशल मीडिया ग्रुप्‍स के एडमिंस के लिए यह खबर बड़ी राहत वाली है। दिल्‍ली हाईकोर्ट ने एक प्रमुख फैसले में कहा है कि सोशल मीडिया ग्रुप पर अन्‍य लोगों द्वारा डाली जाने वाली अपमानजनक सामग्री के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह स्‍पष्‍ट किया है कि व्‍हाट्सएप ग्रुप के एडमिन को ग्रुप मेंबर्स द्वारा अपमानजनक सामग्री डालने के लिए जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इस फैसले का सीधा मतलब है कि पुलिस अब ऐसे सोशल ग्रुप के एडमिन को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

पिछले साल एक व्‍हाट्सएप ग्रुप के सदस्‍य द्वारा विवादित सामग्री पोस्‍ट करने की वजह से उस ग्रुप के एडमिन को गिरफ्तार किया गया है, जिससे यह खबर मीडिया में खूब उछली थी। यह घटना लातूर में घटी थी।

क्‍या था मामला

एक रियल एस्‍टेट कंपनी के अंसतुष्‍ट घर खरीदारों ने एक व्‍हाट्सएप ग्रुप बनाया था, जिसने गुरुग्राम में खरीदारों को घर की डिलीवरी न देकर उन्‍हें धोखा दिया था, कंपनी के प्रमोटर रोज नए बहाने बना रहे थे और लगातार घर देने में देरी कर रहे थे।

  • इस ग्रुप में रियल एस्‍टेट कंपनी के एग्‍जीक्‍यूटिव आशीष भल्‍ला का नाम भी शामिल था। कुछ समय बाद गुस्‍साएं व्‍हाट्सएप सदस्‍यों ने आशीष को बुरा-भला कहना शुरू कर दिया।
  • उनके खिलाफ बहुत से अपशब्‍द और अपमानजनक टिप्‍पणी पोस्‍ट की जाने लगी।
  • इसके बाद आशीष ने उस रियल एस्‍टेट कंपनी को छोड़ दिया, लेकिन व्‍हाट्सएप पर अभी भी उनके खिलाफ अपशब्‍द जारी थे।
  • आशीष भल्‍ला ने व्‍हाट्सएप ग्रुप के खिलाफ एक मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया, इस मामले में एडमिन विशाल दुबे को पक्ष बनाया गया।

तस्वीरों में देखिए कैसे करें Gmail पर आईडी ब्लॉक

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कोर्ट की टिप्‍पणी

  • जस्टिस राजीव सहाय की एकल बेंच ने अपनी टिप्‍पणी में कहा कि,
  • मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि एक ग्रुप में किसी सदस्‍य द्वारा की गई अभद्र टिप्‍पणी के लिए ग्रुप एडमिन को मानहानि के लिए कैसे जिम्‍मेदार ठहराया जा सकता है।
  • जज राजीव सहाय ने यह स्‍पष्‍ट किया कि जब भी सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर कोई ग्रुप बनाया जाता है तो इसकी सामग्री की मॉनीटरिंग और चेकिंग नहीं की जा सकती, क्‍योंकि यहां सामग्री बहुत अधिक मात्रा में आती है।
  • इससे पहले लातूर मामले में व्‍हाट्सएप ग्रुप के एडमिन को आईपीसी की धारा 153 तथा आईटी कानून 2000 की धारा 34 और 67 के तहत गिरफ्तार किया गया था।

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