नई दिल्ली। WhatsApp द्वारा इस हफ्ते की शुरुआत में दुनियाभर में अपने एक अरब यूजर्स के सभी चैट और कॉल्स को एनक्रिप्ट करने का फैसला भारत में इस लोकप्रिय मैसेजिंग एप को गैरकानूनी बना सकता है। व्हाट्सएप 256 बिट की का उपयोग कर अपने मैसेजेस का एनक्रिप्त करेगा। हालांकि भारत के टेलीकम्यूनिकेश डिपार्टमेंट द्वारा 2007 में जारी नियमों के मुताबिक प्राइवेट कंपनियां भारत सरकार की मंजूरी लिए बगैर 40 बिट से ज्यादा का एनक्रिप्शन यूज नहीं कर सकती हैं।
सुरक्षित होगा संवाद
व्हाट्सएप के फाउंडर ब्रायन एक्टन और जैन कूम ने अपनी इस घोषणा में कहा है कि अब कोई भी मैसेज को नहीं देख सकता है। न सायबरक्रिमनल्स, न हैकर्स, न दमनकारी सरकारें और न ही स्वयं व्हाट्सएप। एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन व्हाट्सएप द्वारा होने वाले संवाद को पूरी तरह प्राइवेट बना देगा, यह ठीक वैसे ही होगा जैसे फेस-टू-फेस संवाद में होता है।
इस शर्त पर मिल सकती है अनुमति
भारत में एनक्रिप्शन की अनुमति तभी मिल सकती है जब व्हाट्सएप सरकार को डिक्रिप्शन की से जुड़े सवालों के उत्तर जमा कराए। व्हाट्सएप ने कहा कि उसके पास इसकी क्षमता नहीं है क्योंकि एनक्रिप्शन बिना व्हाट्सएप प्रोसेसिंग के तैयार किए जाएंगे और यहां तक स्वयं व्हाट्सएप यह नहीं देख पाएगी कि उसके यूजर्स क्या बात कर रहे हैं।
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भारत है व्हाट्सएप का सबसे बड़ा बाजार
व्हाट्सएप के लिए भारत सबसे बड़े बाजारों में से एक है। यहां 10 करोड़ मंथली एक्टिव यूजर्स हैं, जो सइके ग्लोबल यूजर्स बेस का 10 फीसदी हिस्सा है। भारत में व्हाट्सएप एक बहुत ही लोकप्रिय मैसेजिंग एप है, 51 फीसदी इंटरनेट यूजर्स प्रतिदिन इस एप का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इसके एनक्रिप्शन से भारत की जांच और कानूनी एजेंसियों को आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने में परेशानी आ सकती है।
पहले भी कई कंपनियां फंस चुकी है मुश्किल में
इससे पहले बहुत ही लोकप्रिय कंपनी ब्लैकबेरी भी इस तरह की एनक्रिप्शन की घोषणा कर मुश्किल में फंस चुकी है। भारत सरकार ने उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। 2010 में सरकार ने ब्लैकबेरी के एनक्रिप्टेड मैसेंजर और ईमेल सर्विस को प्रतिबंध करने की धमकी दी थी। सरकार ने ब्लैकबेरी को सुरक्षा मुद्दे कम करने के लिए स्थानीय डाटा सर्वर स्थापित करने के लिए कहा। 2012 में ब्लैकबेरी को मुंबई में अपना स्थानीय सर्वर स्थापित करना पड़ा। 2015 में सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को प्राइवेट ई-मेल जैसे जीमेल और याहू का इस्तेमाल आधिकारिक संवाद में करने से रोक दिया गया। 2014 में भारतीय एयर फोर्स ने अपने कर्मचारियों को चाइनीज स्मार्टफोन के उपयोग न करने का निर्देश जारी किया था।
Source: mashable