नई दिल्ली। सरकार की तरफ से आज दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान विकास हुए विकास की दर यानि GDP के आंकड़े जारी किए जाएंगे और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पहली तिमाही की तरह दूसरी तिमाही में भी GDP ग्रोथ निगेटिव होगी। अगर ऐसा होता है तो यह घोषित हो जाएगा कि भारत आर्थिक मंदी की गिरफ्त में आ चुका है।
दरअसल आर्थिक मंदी यानि Recession की परिभाषा ही यही है कि किसी देश की GDP में अगर लगातार 2 तिमाही तक निगेटिव ग्रोथ दर्ज की जाए तो उस देश को आर्थिक मंदी की गिरफ्त में माना जाता है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही यानि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत में GDP ग्रोथ में भारी गिरावट देखने को मिली थी, उस समय ग्रोथ निगेटिव 23.9 प्रतिशत रही थी।
कोरोना वायरस की वजह से सरकार को अप्रैल से जून के दौरान बहुत सख्त लॉकडाउन लगाना पड़ा था जिस वजह से आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो चुकी थीं और देश की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ था। लॉकडाउन क्योंकि जुलाई से सितंबर के दौरान भी था ऐसे में आशंका है कि अब दूसरी तिमाही में भी ग्रोथ निगेटिव रह सकती है, ऐसा होने की स्थिति में यह घोषित हो जाएगा कि भारत आर्थिक मंदी यानी Recession की गिरफ्त में आ चुका है।
हालांकि जिस तरह का सख्त लॉकडाउन अप्रैल से जून तिमाही के दौरान था उस तरह की पाबंदियां जुलाई से सितंबर के दौरान देखने को नहीं मिली थी और व्यापारिक गतिविधियां सामान्य होने लगी थी, ऐसे में उम्मीद यह भी है कि जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था में कुछ रिकवरी भी हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा था कि भारत में आर्थिक रिकवरी तेजी से हो रही है और जिस रफ्तार से रिकवरी की उम्मीद जताई गई थी उससे कहीं तेजी से हालात सामान्य हो रहे हैं।