जनवरी में मैसेजिंग एप व्हाट्सएप के प्राइवेसी विवाद का फायदा टेलिग्राम जैसे एप का मिला था। अब यही हाल ट्विटर का भी हो रहा है। माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट इन दिनों अपने पक्षपातपूर्ण रवैये के चलते विवादों में है। इस बीच मेड इन इंडिया कू Koo एक चर्चा में है। आम यूजर ही नहीं बल्कि भारत सरकार भी ट्विटर से नाता तोड़ कर Koo से जुड़ रही है। हाल ही में किसान आंदोलन सहित कई मुद्दों पर भारत सरकार के साथ भी ट्विटर का टकराव सामने आया था।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जो ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं, उन्होंने मंगलवार को घोषणा की है कि उन्होंने कू पर एक खाता भी बनाया है। बता दें कि कू एक मेक इन इंडिया ऐप है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ ही आईटी (इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय), इंडिया पोस्ट सहित कई सरकारी विभागों ने कू पर अकाउंट खोल लिया है।
कू क्या है? (What is Koo)
कू ट्विटर की तरह एक ऐप है जिसे 10 महीने पहले लॉन्च किया गया था। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू किया गया है। ऐप को अपरामया राधाकृष्णन और मयंक बिदवाटका द्वारा विकसित किया गया था। यह ऐप कई भाषाओं में उपलब्ध है, जिनमें हिंदी, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली, तमिल, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, ओडिया और असमी शामिल हैं।
ट्विटर को भारत की चुनौती (Twitter Vs Koo)
गूगल प्लेस्टोर में इसके डाउनलोड पेज पर बताया गया है कि, कू को "भारतीयों द्वारा अपनी मातृभाषा में अपने विचार साझा करने और सार्थक चर्चा करने के लिए बनाया गया है।" इसकी टैगलाइन "भारतीय भाषाओं में भारतीयों से जुड़ना" है।
कैसे डाउनलोड करें (how to download Koo)
ऐप को Google play store और iOS ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इसे वेब ऐप से भी एक्सेस किया जा सकता है। सभी यूजर्स को एक वैध फोन नंबर की आवश्यकता होती है, जिस पर Koo पहली बार पंजीकरण के लिए OTP भेजता है।
कू पर क्या किया जा सकता है? (What can be done on Koo)
कू पर आप वह सब कर सकते हैं जो ट्विटर पर किया जा सकता है। आप अपनी राय, अपडेट साझा कर सकते हैं। इस प्लेटफॉर्म पर सेलिब्रिटीज को भी फॉलो किया जा सकता है। आप भारतीय भाषाओं में अपना फ़ीड देख सकते हैं। यह ऐप यह भी दिखाएगा कि क्या ट्रेंडिंग है।
कू के निवेशक कौन हैं? (Investors of Koo)
पीयूष गोयल के ट्वीट के बाद मंगलवार दोपहर से कू ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। कू ने निवेशकों से लगभग 30 करोड़ जुटाए हैं। कू के निवेशकों में इंफोसिस के पूर्व सीईओ मोहन दास पई द्वारा समर्थित इकाई भी शामिल थी। एस्सल पार्टनर, कलारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स और ड्रीम इंक्यूबेटर इसके मौजूदा निवेशक हैं।