किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए दो चीजें सबसे अहम है, पहला कम्युनिकेशन और दूसरा ट्रांसपोर्टेशन। हमारी पूरी सफलता इसी बात पर निर्भर है कि कितनी तेजी से नए बाजारों में मांग का पता लगा सकते हैं और कितनी तेजी से अपने प्रोडक्ट उस बाजार तक पहुंचा सकते हैं। चुस्त और दुरस्त ट्रांसपोर्टेशन न सिर्फ उत्पादकों को अपने प्रोडक्ट बाजार तक पहुंचाने में मदद करता है, वहीं ग्राहकों को भी सस्ते और बेहतर प्रोडक्ट उपलब्ध कराता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है, जहां समय से बाजार तक न पहुंच पाने के कारण फसल बरबाद हो जाती है।
देश की अर्थव्यवस्था को रेल के पहियों की मदद से गति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बहुप्रतीक्षित ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के एक हिस्से की शुरुआत की। पूर्वी फ्रेट कॉरिडोर लुधियान को को पश्चिम बंगाल के दानकुनी से जोड़ रहा है, सैंकड़ों किलोमीटर लंबे इस रूट में कोयला खाने हैं, थर्मल प्लांट हैं, औद्योगिक शहर हैं, इनके लिए फीडर मार्ग भी बनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही देश में पश्चिमी कॉरिडोर पर भी काम चल रहा है। यह फ्रेट कॉरिडोर महाराष्ट्र के जेएनपीटी को उत्तर प्रदेश के दादरी से जोड़ेगा।
किसान कन्ज्यूमर और उद्योग के लिए फायदेमंद
सामान्य बोलचाल की भाषा में यह मालगाड़ियों के लिए बने विशेष रेल ट्रैक हैं। हमारे खेत, उद्योग या बाजार माल ढु़ालाई पर निर्भर होते हैं। कहीं कोई फसल उगती है तो उसे देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाना पड़ता है। एक्सपोर्ट को बंदरगाहों तक पहुंचाना पड़ता है। उद्योग का माल बाजार तक पहुंचाना पड़ता है और एक्सपोर्ट के लिए फिर उसे बंदरगाहों तक पहुंचाना पड़ता है। इसके लिए सबसे बड़ा माध्यम हमेशा से रेलवे रही है, जैसे जैसे अर्थव्यवस्था बढ़ी तो माल ढुलाई के नेटवर्क पर बोझ भी बढ़ता गया। Good News: अब इस लाइन पर मेट्रो कार्ड की जरूरत नहीं, काम आएगा आपका ये वाला "Rupay" कार्ड
बेरोक दौड़ेंगी मालागाड़ियां
अभी तक भारत में यात्री ट्रेन और मालगाड़ी एक ही ट्रैक पर चलती है, ऐसे में मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए यात्री ट्रेनों को रोका जाता है या फिर यात्री ट्रेन को देरी से बचाने के लिए मालगाड़ी को घंटों रोक दिया जाता है। इससे दोनों को देरी होती है। इससे ट्रांपोर्टेशन की लागत बढ़ती है और सीधा असर खेती खनिज उत्पाद और औद्योगिक उत्पादों की कीमत पर पड़ता है। महंगे होने के कारण वे देश और विदेश के बाजारों में होने वाली स्पर्था में टिक नहीं पाते, इसी स्थिति से निपटने के लिए फ्रेट कॉरिडोर की योजना बनी थी। शुरू में 2 फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ने की योजना है।
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फ्रेट कॉरिडोर से इन क्षेत्रों को होगा फायदा
पूर्वी फ्रेट कॉरिडोर लुधियान को पश्चिम बंगाल के दानकुनी से जोड़ रहा है। 1856 किलोमीटर से ज्यादा लंबे इस रूट में कोयला खाने हैं, थर्मल प्लांट हैं, औद्योगिक शहर हैं। इनके लिए फीडर मार्ग भी बनाए जा रहे हैं। वहीं पश्चिमी कॉरिडोर महाराष्ट्र में जेएनपीटी को उत्तर प्रदेश के दादरी से जोड़ता है, 1500 किलोमीटर के इस कॉरिडोर में गुजरात के बड़े बंदरगाहों के लिए फीडर मार्ग होंगे, इन दोनों के इर्दगिर्द दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और अमृतसर कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी विकसित किए जा रहे हैं। इसी तरह उत्तर को दक्षिण और पूर्व को पश्चिम से जोड़ने वाले ऐसे विशेष रेल कॉरिडोर से जुड़ी जरूरी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं।
तीन गुना बढ़ेगी मालगाड़ियों की स्पीड
माल गाड़ियों के लिए बनी इस प्रकार की विशेष सुविधाओं से देश में यात्री ट्रेन की लेट लतीफी कम होगी और मालगाड़ी की स्पीड भी 3 गुना से ज्यादा हो जाएगी। मालगड़ियां पहले से 2 गुना माल की ढुलाई कर पाएंगीं क्योंकि डबल डैकर गाड़ियां चलाई जा सकेंगी। मालगाड़ियां जब समय पर पहुंचेंगी तो लॉजिस्टिक नेटवर्क सस्ता होता जाएगा। इससे निर्यात को लाभ होगा और उद्योग के लिए माहौल बेहतर होगा। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा और रोजगार के अनेक अवसर भी बनेंगे। यह फ्रेट कॉरिडोर आत्मनिर्भर भारत के माध्यम बनेंगे।
अलीगढ़ के ताले से लेकर मलीहाबादी आम को फायदा
उद्योग, व्यापार, किसान या कंज्यूमर, हर किसी को इसका लाभ मिलने वाला है। लुधियाना या वाराणसी के कपड़ा निर्माता या फिरोजपुर का किसान, अलीगढ़ का ताला निर्माता हो या राजस्थान का संगमरमर कारोबारी, मलीहाबाद का आम उत्पादक हो या कानपुर का लेदर उद्योग, हर किसी के लिए यह अवसर ही अवसर लेकर आया है। विशेषकर औद्योगिक रूप से पीछे रह गए पूर्वी भारत को यह फ्रेट कॉरिडोर नई ऊर्जा देने वाला है। इसका 60 प्रतिशत हिस्सा यूपी में है और यूपी के हर उद्योग को लाभ मिलेगा। देश विदेश के उद्योगों में जिस प्रकार यूपी के प्रति आकर्षण यूपी को लेकर पैदा हुआ है वह और बढ़ेगा।