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जल संकट डाल सकता है आर्थिक वृद्धि पर असर, खड़ी हो सकती हैं संघर्ष और विस्थापन जैसी समस्याएं

विश्वबैंक ने चेतावनी दी है कि जल संकट के चलते देशों की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है, लोगों का विस्थापन बढ़ सकता है और संघर्ष की समस्या खड़ी कर सकता है

Dharmender Chaudhary
Updated : May 04, 2016 15:36 IST
जल संकट डाल सकता है आर्थिक वृद्धि पर असर, खड़ी हो सकती हैं संघर्ष और विस्थापन जैसी समस्याएं
जल संकट डाल सकता है आर्थिक वृद्धि पर असर, खड़ी हो सकती हैं संघर्ष और विस्थापन जैसी समस्याएं

वॉशिंगटन। विश्वबैंक ने चेतावनी दी है कि जल संकट के चलते देशों की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है, लोगों का विस्थापन बढ़ सकता है और यह भारत समेत पूरे विश्व में संघर्ष की समस्याएं खड़ी कर सकता है, जहां विभिन्न क्षेत्रों में लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निकाय का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से जल संकट बढ़ रहा है।

जलवायु परिवर्तन, जल एवं अर्थव्यवस्था पर विश्वबैंक की हाल ही में जारी रिपोर्ट हाई एंड ड्राई : क्लाइमेट चेंज, वाटर एंड दी इकोनॉकी शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती आय और शहरों के विस्तार से पानी की मांग में भारी बढ़ोतरी होगी, जबकि आपूर्ति अनियमित और अनिश्चित होगी। भारत में पानी का उपयोग अधिक कुशलता और किफायत से किए जाने पर बल देते हुए विश्वबैंक के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पूरे भारत में पानी की किल्लत या कम से कम कम पानी की मांग बढ़ेगी।

तस्वीरों में देखिए सूखे का हाल

Drought in maharashtra

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कम बारिश से बढ़ते है संपत्ति के झगड़े

रिपोर्ट में कहा गया है भारत में औसत से कम बारिश होने पर संपत्ति से जुड़े झगड़े करीब चार फीसदी बढ़ जाते हैं और बाढ़ आने पर सांप्रदायिक दंगे ज्यादा आम हो जाते हैं। इसमें कहा गया है कि गुजरात में जब जमीन के नीचे पानी का स्तर गिरने से सिंचाई के लिए पानी कम और महंगा हो गया तो किसान फसल प्रणाली में बदलाव और पानी के बेहतर उपयोग का रास्ता अपनाने के बजाये शहरों की ओर विस्थापन करने लगे।

जल संकट आर्थिक वृद्धि के लिए खतरा

विश्वबैंक ने कहा, एक आकलन के मुताबिक भूमिगत जल की पंपिंग का भारत के कुल कार्बन उत्सर्जन में चार से छह फीसदी का योगदान है। विश्वबैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा कि जल संकट आर्थिक वृद्धि और विश्व की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा है और जलवायु परिवर्तन इस समस्या को और बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, यदि देश अपने जल-संसाधन के बेहतर प्रबंधन के लिए पहल नहीं करते तो हमारे विश्लेषण के मुताबिक बड़ी आबादी वाले बड़े क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि में गिरावट का लंबा सिलसिला शुरू हो सकता है।

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