Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. कृषि ऋण माफी की लागत GDP की दो फीसदी तक पहुंच सकती है, बढ़ेगा सरकार का नुकसान : अरविंद सुब्रमण्‍यन

कृषि ऋण माफी की लागत GDP की दो फीसदी तक पहुंच सकती है, बढ़ेगा सरकार का नुकसान : अरविंद सुब्रमण्‍यन

मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्‍यन ने कहा कि यदि देशभर में इसी तरह की ऋण माफी की जाती है तो इससे सरकार का घाटा GDP के दो फीसदी तक बढ़ जाएगा।

Manish Mishra
Published on: April 25, 2017 15:55 IST
कृषि ऋण माफी की लागत GDP की दो फीसदी तक पहुंच सकती है, बढ़ेगा सरकार का नुकसान : अरविंद सुब्रमण्‍यन- India TV Paisa
कृषि ऋण माफी की लागत GDP की दो फीसदी तक पहुंच सकती है, बढ़ेगा सरकार का नुकसान : अरविंद सुब्रमण्‍यन

वाशिंगटन। भारत के कुछ राज्यों द्वारा हाल में की गई कृषि ऋण माफी पर चिंता जताते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्‍यन ने कहा कि यदि देशभर में इसी तरह की ऋण माफी की जाती है तो इससे सरकार का घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के दो फीसदी तक बढ़ जाएगा। पिछले हफ्ते यहां एक कार्यक्रम में सुब्रमण्‍यन ने कहा कि हमने हाल में कृषि ऋण माफी की कई घोषणाओं को देखा है। आप जानते हैं कि यदि इसका विस्तार होता है तो इसकी लागत होगी और यह जीडीपी के दो फीसदी के बराबर हो सकती है जिससे सरकार का नुकसान बढ़ेगा।

यह भी पढ़ेें : सरकार बेचेगी एनर्जी एफिशिएंट एयरकंडीशनर, आसान किश्तों पर भी खरीद सकेंगे आप

गौरतलब है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में 36,000 करोड़ रुपए के कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की है। इस फैसले से असहमति जताते हुए सुब्रमण्‍यन ने कहा कि यदि इस तरह की गतिविधियां बढ़ती हैं, जिसकी संभावना बनी हुई है, तो मेरे हिसाब से यह एक बड़ी चुनौती होगी। उन्होंने यह बात यहां पिछले हफ्ते पीटरसन इंस्टीट्यूट में एक परिचर्चा सत्र के दौरान कही जिसे यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक ग्रीष्मकालीन बैठक से इतर आयोजित किया गया था।

सुब्रमण्‍यन ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां केंद्र के राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के प्रयासों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस समय निजी क्षेत्र के ऋण को खत्म करने की चुनौती से भी जूझ रही है। यह एक राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है। उन्‍होंने कहा कि निजी क्षेत्र के ऋण से कैसे निपटा जाए इस पर बहुत बहस हुई है लेकिन मेरा मानना है कि इसके मूल में जाकर देखा जाए तो यह बहुत आसान है। किस प्रकार एक राजनीतिक प्रणाली में जहां भाई-भतीजावाद, एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने की पूंजीवादी व्यवस्था की चिंताएं महत्वपूर्ण हों क्या वहां निजी क्षेत्र के ऋण को माफ कर सार्वजनिक क्षेत्र के करदाताओं पर इसका बोझ डाला जा सकता है?

यह भी पढ़ेें : AirAsia ने गर्मियों की छुट्टी से पहले पेश किया कूल फेयर्स ऑफर, सिर्फ 1099 रुपए में कीजिए हवाई सफर

उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि यह राजनीतिक समस्या के मूल में है और हम अभी भी इससे जूझ रहे हैं कि इस ऋण को खत्म कैसे करें। उन्होंने केंद्र सरकार के वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लेकर किए गए प्रयासों को भारत में एक बड़ा विकासात्मक कदम और सर्वाधिक महत्वाकांक्षी कर सुधार बताया। उन्होंने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिसकी अमेरिका में कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्योंकि इसके ना सिर्फ समर्थक और विरोधी दोनों हैं बल्कि यह एक ऐसी कर व्यवस्था है जिसमें केंद्र और राज्य दोनों के बीच समन्वय से ही यह होना है।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement